राष्ट्रीय राजधाीन दिल्ली की एक अदालत ने आम आदमी पार्टी से निष्कासित पार्षद ताहिर हुसैन (Tahir Hussain) की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के पीछे कथित साजिश से संबंधित एक अन्य मामले में आरोप तय होने तक उनके खिलाफ धन शोधन मामले में कार्यवाही पर रोक लगाने का अनुरोध किया था.
दंगे भड़काने की साजिश से संबंधित मामले में हुसैन के साथ-साथ शरजील इमाम, उमर खालिद और खालिद सैफी समेत 20 लोगों को आरोपी बनाया गया है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज किया गया धन शोधन का मामला दंगे की साजिश के मामले से संबंधित है. एजेंसी ने आरोप लगाया है कि हुसैन ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन को बढ़ावा देने और सांप्रदायिक दंगे भड़काने के लिए मुखौटा कंपनियों का उपयोग करके कई करोड़ रुपये की हेराफेरी की. अदालत ने इस बात को रेखांकित किया कि ईडी ने मामले में इस साल जनवरी में आरोप तय किए गए थे, और आरोपों पर आदेश के खिलाफ हुसैन की अपील दिल्ली उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दी थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने पूर्व पार्षद की इस दलील को खारिज कर दिया कि अपराध से कोई आय अर्जित नहीं हुई थी और धन शोधन नहीं हुआ था. न्यायाधीश ने 14 दिसंबर को पारित आदेश में कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला केवल तभी दर्ज किया जा सकता है जब कोई सोचा-समझा अपराध (दंगा भड़काने की बड़ी साजिश) किया गया हो और दोनों मामलों की जांच अलग-अलग एजेंसियों-ईडी और दिल्ली पुलिस – द्वारा की गई हो.