दिल्ली नगर निगम को भारी पड़ गया कार जब्त कर जुर्माना वसूलना,कोर्ट ने दिखाया आईना

नो पार्किंग की चेतावनी न लिखी होने पर कार जब्त कर जुर्माना वसूलना दिल्ली नगर निगम को भारी पड़ गया। निगम कोर्ट में यह साबित नहीं कर पाया कि जहां कार खड़ी थी, वह जमीन उसकी है या किसी अन्य विभाग की।

कार मालिक की शिकायत पर कड़कड़डूमा स्थित एडिशनल सीनियर सिविल जज हिमांशु रमन सिंह के कोर्ट निगम को आदेश दिया है कि वह जुर्माना राशि 5350 रुपये नौ प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाए। इस तरह से निगम कई लोगों से जुर्माना वसूलता रहा है। यह आदेश उनके लिए भी नजीर साबित हो सकता है।

शाहदरा के मानसरोवर पार्क डीडीए फ्लैट निवासी एलजी दास ने निगम के खिलाफ वाद दायर किया था। उसमें दास ने बताया कि 23 जनवरी 2020 को वह किसी काम से नंद नगरी जिलाधिकारी कार्यालय गए थे। उस दिन दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया चल रही थी।

इसलिए वह अपनी कार जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में अंदर नहीं लेकर जा सके। मजबूरी में कार बाहर खड़ी करनी पड़ी, वहां अन्य वाहन भी थे। दास ने यह आरोप भी लगाया था कि नगर निगम की टीम गैरकानूनी तरह से उनकी कार को उठाकर ले गई। वहां नो पार्किंग जोन का बोर्ड नहीं लगा था, न ही कोई चेतावनी लिखी थी।

कार छुड़वाने के लिए निगम के केशव चौक स्थित कार्यालय गए तो ऐसा करने का उचित कारण न बताकर 5350 रुपये जुर्माना लगा दिया गया। साथ ही चेतावनी दी गई कि जुर्माना जमा नहीं कराया तो कार नहीं मिलेगी। उन्होंने अपनी अर्जी में हवाला दिया कि इस चेतावनी की वजह से उन्हें जुर्माना भरना पड़ा।

दास ने यह भी अवगत कराया था कि उन्होंने जुर्माने के रूप में जमा कराई राशि वापस मांगते हुए निगम को नोटिस भेजा था। निगम ने उसको तवज्जो नहीं दी। इस पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनकी तरफ से अधिवक्ता गुलजार अली ने पक्ष रखा। उनकी अर्जी पर कोर्ट के नोटिस पर निगम ने पक्ष रखा कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम के प्रविधानों के तहत यह वाद सुनवाई योग्य नहीं है।

दास ने कार खड़ी करके सार्वजनिक सड़क पर अतिक्रमण किया था, जिससे जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर अवरोध हो रहा था। साथ ही इस बात पर जोर दिया कि दास ने स्वेच्छा से कार छुड़वाने के लिए आग्रह किया था, जिसे दिल्ली नगर निगम अधिनियम के तहत जब्त किया गया था।

इस दलील पर कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि एक आम आदमी को मालूम है अगर उसका वाहन जब्त हो गया तो छुड़वाने के लिए उसके पास जुर्माना भरने के बजाय कोई दूसरा विकल्प नहीं। कोर्ट ने पाया कि निगम यह बताने में असफल रहा कि उसके कर्मचारियों ने किन परिस्थितियों में कार को जब्त किया। इस पर कोर्ट ने वादी एलजी दास के पक्ष में निर्णय कर दिया।

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