विशेष संवाददाता चिमन लाल
गांव बैंसी
रविवार को सतगुरुदेव महंत अशोक दास जी महाराज जी के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर 15वां विशाल महायज्ञ अत्यंत श्रद्धा, भव्यता और भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ। इस पावन आयोजन में दूर-दूर से श्रद्धालुजन बड़ी संख्या में पधारे और गुरुजनों के दिव्य प्रवचनों से लाभान्वित हुए, इस शुभ अवसर पर सतगुरुदेव महंत अशोक दास जी महाराज ने अपने प्रेरणादायक प्रवचनों में प्रभु महिमा, भक्ति और आत्मसाक्षात्कार के गूढ़ रहस्यों को उजागर किया। उन्होंने कहा कि सच्ची भक्ति तभी संभव है जब हृदय में पूर्ण समर्पण और निःस्वार्थ प्रेम हो। सत्संग के माध्यम से उन्होंने भक्तों को सदाचार, धर्म के मार्ग और प्रभु कृपा की महत्ता को समझाया। महायज्ञ के दौरान रामानुज दास जी महाराज ने अपने ओजस्वी प्रवचनों में कहा कि भगवान को पाने के लिए हृदय में शुद्ध भाव जागृत करना आवश्यक है। “बिन भाव रिझे नहीं मेरे मदन गोपाल” उन्होंने कहा कि बाहरी आडंबर से प्रभु प्रसन्न नहीं होते, बल्कि सच्चे और सहज प्रेम से ही उनका सान्निध्य प्राप्त किया जा सकता है। जब मनुष्य निर्मल मन और निष्कपट भावना से प्रभु का स्मरण करता है, तभी उसे ईश्वर की वास्तविक अनुभूति प्राप्त होती है l महायज्ञ के दौरान श्रद्धालु भक्तों ने फूलों की होली खेलकर प्रेम, सौहार्द और भक्ति का अद्भुत संदेश दिया। इस दिव्य आयोजन से पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा और रंगों की आभा से ओतप्रोत हो गया। श्रद्धालुओं ने सतगुरुदेव महंत अशोक दास जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया और उनके दिव्य उपदेशों से आत्मिक आनंद का अनुभव किया। महायज्ञ के उपरांत विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रेमपूर्वक प्रसाद ग्रहण किया। सेवा भाव से किए गए इस भंडारे ने सद्भावना और आपसी प्रेम को और अधिक सुदृढ़ किया।
महायज्ञ को सफल बनाने में रामा आश्रम सेवादल, गांव बैंसी के सभी सेवादारों ने अपनी अथक सेवा और निष्ठा से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका योगदान न केवल इस आयोजन को सुचारु रूप से संपन्न कराने में सहायक रहा, बल्कि उन्होंने गुरु भक्ति और सेवा धर्म की महान परंपरा को भी आगे बढ़ाया।