दिल्ली में लाखों मकानों पर अचानक तोड़फोड़ का खतरा मंडराने लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद, दिल्ली नगर निगम (MCD) ने 2014 के बाद से बने अवैध निर्माणों पर सख्त नजर रखना शुरू कर दिया है।
इसके तहत, MCD अब पिछले 17 सालों में हुए अवैध निर्माण और उन पर की गई कार्रवाई का डाटा जुटा रही है। यह कदम दिल्ली में अवैध निर्माण की बढ़ती समस्या पर लगाम लगाने के उद्देश्य से उठाया गया है, लेकिन इससे राजधानी में रहने वाले लाखों लोगों की नींद उड़ गई है।
विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों में करीब 10 लाख संपत्तियां ऐसी हैं जिनका निर्माण जून 2014 के बाद हुआ है। इनमें से अधिकतर मकान या तो बिना अनुमति के बनाए गए हैं या फिर निर्माण में नियमानुसार बदलाव किए गए हैं। ऐसे में यदि MCD ने इन संपत्तियों पर कार्रवाई शुरू की, तो बड़ी संख्या में लोगों को अपने घरों से बेदखल होने का डर सताने लगा है। खासकर उन लोगों के लिए यह स्थिति और भी गंभीर हो गई है, जिन्होंने हाल के वर्षों में अपनी जीवनभर की कमाई से मकान खरीदा या बनाया है।
दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों में अवैध निर्माण कोई नई बात नहीं है। सालों से यह सिलसिला चलता आ रहा है, और अब जब MCD ने इस पर सख्ती दिखाने की तैयारी की है, तो इसका सीधा असर उन लाखों परिवारों पर पड़ेगा जो इन कॉलोनियों में रहते हैं। हालांकि, इस कदम का उद्देश्य शहर की संरचना को बेहतर बनाना और अनधिकृत निर्माण को रोकना है, लेकिन इसके साथ ही यह सवाल भी उठता है कि क्या लाखों लोगों को अचानक बेघर कर देना न्यायसंगत है?
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद MCD की इस कार्रवाई ने राजनीतिक और सामाजिक बहस को जन्म दिया है। एक तरफ जहां अवैध निर्माण पर कार्रवाई को सही ठहराया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर लाखों लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए, इस समस्या का कोई वैकल्पिक समाधान निकालने की मांग भी जोर पकड़ रही है। भविष्य में इस मुद्दे पर क्या कदम उठाए जाएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा, लेकिन फिलहाल दिल्ली के लाखों मकानों पर तोड़फोड़ का खतरा बरकरार है।