केंद्र सरकार ने विधेयक किया पेश , अगर 30 दिन से ज्यादा गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार होते हैं प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री तो 31वें दिन उन्हें पद से हटा दिया जाएगा.
हालांकि, सदन में हंगामे के बीच बिल जेपीसी को भेज दिया गया है.अगर विधेयक पास होता है तो उन सांसदों की सांसदी के लिए खतरा बढ़ जाएगा जिनके खिलाफ पहले से ही आपराधिक मामले दर्ज हैं या दोषी करार दिए जा चुके हैं.
चर्चित मामलों को देखें तो दिल्ली के पूर्व CM केजरीवाल 6 महीने और तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी 241 दिन तक हिरासत और जेल में रहे थे. केजरीवाल अपने पद पर रहते हुए गिरफ्तार होने वाले पहले CM थे. आइए इसे बहाने जान लेते हैं, वर्तमान में 18वीं लोकसभा में कितने सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, चुनाव-दर-चुनाव कितने बढ़े केस और किसी पार्टी में ऐसे सांसद सबसे ज्यादा?
ADR रिपोर्ट कहती है, वर्तमान लोकसभा के 543 सदस्यों में से 251 यानी 46 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इसमें 25 से अधिक को दोषी भी ठहराया जा चुका है. कुल 233 सांसदों (43 प्रतिशत) ने अपने विरुद्ध आपराधिक मामले घोषित किए थे. वहीं, यह आंकड़ा 2019 में 233 (43%) , 2014 में यह आंकड़ा 185 (34 %), 2009 में 162 (30%) और 2004 में 125 (23 %) था.
ADR के अनुसार, 18वीं लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी भाजपा के 240 विजयी उम्मीदवारों में से 94 (39 प्रतिशत) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. कांग्रेस के 99 सांसदों में से 49 (49 प्रतिशत) ने आपराधिक मामले घोषित किए हैं और समाजवादी पार्टी के 37 सांसदों में से 21 (56 प्रतिशत) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
TMC के 29 में से 13 (44 प्रतिशत), डीएमके के 22 में से 13 (59 प्रतिशत), टीडीपी के 16 में से आठ (50 प्रतिशत) और शिवसेना के सात विजयी उम्मीदवारों में से पांच (71 प्रतिशत) ने आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
विश्लेषण में पाया गया कि 63 (26 प्रतिशत) भाजपा उम्मीदवारों, 32 (32 प्रतिशत) कांग्रेस उम्मीदवारों और 17 (46 प्रतिशत) सपा उम्मीदवारों ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
रिपोर्ट कहती है, सात (24 प्रतिशत) टीएमसी उम्मीदवार, छह (27 प्रतिशत) डीएमके उम्मीदवार, पांच (31 प्रतिशत) टीडीपी उम्मीदवार और चार (57 प्रतिशत) शिवसेना उम्मीदवार गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं.
केंद्र सरकार तीन विधेयक ला रही है. इनमें केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025, संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 शामिल हैं.
- केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025: केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम, 1963 (1963 का 20) में गंभीर आपराधिक आरोपों की वजह से गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए CM या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए सरकार को लगता है कि केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम, 1963 की धारा 45 में बदलाव करने की आवश्यकता है.
- संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025: भारतीय संविधान में गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मंत्री को हटाने के लिए प्रावधान नहीं है. ऐसे मामलों में PM या केंद्रीय मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री और राज्यों एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री को हटाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239एए में बदलाव की जरूरत महसूस की गई है.
- जम्मू कश्मीर पुनर्गठन(संशोधन)विधेयक, 2025: वर्तमान में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 2019 का 34)के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों मामलों में गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए CM या मंत्री को हटाने के लिए कोई प्रावधान नहीं दर्ज है. यही वजह है कि ऐसे मामलों में इनके लिए जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 में बदलाव की जरूरत महसूस की गई है.