HC ने उस जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया है जिसमें मांग की गई थी कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जेल से सरकार चलाने देने के लिए विशेष व्यवस्था की जाए।
याचिका में यह भी मांग की गई थी कि दिल्ली में राष्ट्रपति शासन से संबंधित खबरों पर रोक लगा दी जाए। अदालत ने ना सिर्फ सिर्फ पीआईएल को खारिज किया बल्कि इसे दायर करने वाले पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगा दिया।
श्रीकांत प्रसाद नाम के एक वकील ने हाई कोर्ट में पीआईएल दायर की थी। इसमें मांग की गई थी कि तिहाड़ में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल से सरकार चला सकें इसके लिए विशेष इंतजाम किए जाएं। डीजी जेल को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि केजरीवाल विधायकों और कैबिनेट सदस्यों से बातचीत कर सकें, इसके लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का इंतजाम कर दिया जाए।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए प्रसाद पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया। याचिकाकर्ता को इसे एम्स के खाते में जमा कराने को कहा गया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई और कई तीखी टिप्पणी भी की।
याचिका में यह भी मांग की गई थी कि मीडिया को केजरीवाल के इस्तीफे और दिल्ली में राष्ट्रपति शासन से संबंधित खबरें चलाने से रोक दिया जाए। इस पर कोर्ट ने काफी नाराजगी जाहिर की और कहा कि क्या आपतकाल या सैनिक शासन लगा दिया जाए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 21 मार्च से जेल में बंद हैं। कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार किए गए केजरीवाल जेल से ही सरकार चलाने पर अड़े हैं। आम आदमी पार्टी का कहना है कि उसके मुखिया सीएम पद से इस्तीफा नहीं देंगे और जेल से ही सरकार चलाते रहेंगे।
इससे पहले हाई कोर्ट में इस मांग को लेकर भी याचिका दायर की जा चुकी है कि जेल में बंद केजरीवाल को सीएम पद से हटा दिया जाए। लेकिन कोर्ट ने यह कहकर अर्जी खारिज कर दी थी कि इसका फैसला खुद केजरीवाल को करना है या एलजी और राष्ट्रपति को तय करना है। कोर्ट इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।