आईएएस राजशेखर के खिलाफ विभिन्न शिकायतों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी दिल्ली सरकार

सर्विसेज के विशेष सचिव राजशेखर को घोर अवज्ञा, अनुशासनहीन व्यवहार, तथ्यों को गलत साबित करने और अधिकारों के उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है

लिया। इसके अलावा, अपने वरिष्ठों के निर्देशों का पालन करने और खुद को निष्पक्ष जांच के लिए प्रस्तुत करने के बजाय उन्होंने झूठी व मनगढ़ंत कहानियों का सहारा लिया और दिल्ली के प्रभारी मंत्री और सचिव (सतर्कता) के कामकाज की विश्वसनीयता को भंग करने के लिए उनको मीडिया से साझा किया।

हैं। ऐसे 300 उम्मीदवारों से 15 करोड़ रुपए लिए गए। इनमें एक शिकायतकर्ता भी है। यह गंभीर सवाल उठ रहा है कि क्या राजशेखर ने वास्तव में दिल्ली सरकार के उन कर्मचारियों के आश्रितों से करोड़ों रुपए वसूलने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किए, जिनकी सेवा के दौरान मृत्यु हो गई थी।

यह भी आरोप लगाया गया है कि सरकार में वरिष्ठ अधिकारियों को अपनी सीट का प्रभार नहीं सौंपने के लिए दबाव बनाने के इरादे से राजशेखर ने अपने दो अधिकारिक पत्रों की सामग्री को मीडिया में लीक किया,  ताकि वे अपने कुकर्मों में हेरफेर कर सकें और सनसनीखेज माहौल बना सकें। उन्होंने इन दोनों पत्रों को 15 मई 2023 और 16 मई 2023 को सचिव (सतर्कता) को भेजा था।

पत्र में कहा गया है कि 15 मई 2023 के पत्र में राजशेखर ने उन्हें सौंपे गए सभी कार्यों को वापस लेने के मंत्री के निर्देशों को सतर्कता विभाग द्वारा जांच किए जा रहे एक विशिष्ट मामले के साथ जोड़ने की कोशिश की। इसमें बिना कोई साक्ष्य या तथ्य पेश किए गलत उद्देश्यों का सुझाव दिया गया था। एक निष्पक्ष जांच के लिए खुद को प्रस्तुत करने के बजाय उन्होंने बार-बार अपने प्रभारी मंत्री के कार्यों में दखल दिया। बाद में उन्होंने इस पत्र में प्रभारी मंत्री के सचिव पर भी हमला बोला, जो तुरंत मीडिया में लीक हो गया था। यह प्रत्यक्ष अवज्ञा और अनैतिक व्यवहार का कार्य है। यह सवाल भी पैदा होता है कि अगर उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया था तो उन्होंने निष्पक्ष जांच के लिए खुद को पेश करने के बजाय अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर हमला क्यों किया?

पास तब तक  भी सेवा विभाग की फाइलें थी।

इस संबंध में, यह ध्यान दिया जाना आवश्यक है कि यह पहला अवसर नहीं है, जब राजशेखर ने इस तरह की कार्य प्रणाली में लिप्त मिले है। उपरोक्त पैरा-1 और नियम-3 (1) (1 ए) के रूप में एआईएस नियमों के 3(2)(2ए),(28)(vi)(vii)(x)(xii) और नियम-3(3)(i)(ii) में उल्लिखित नियमों का उल्लंघन करना उनकी आदत में है। जब एनडीएमसी में तैनात थे तब उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण फाइलों को सौंपने के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश/निर्देशों की जानबूझकर अवहेलना की थी। तत्कालीन सचिव (एनडीएमसी) द्वारा दिनांक 08 अगस्त 2019 को जारी शिकायत/निर्देशों में एनडीएमसी में गुप्त उद्देश्यों के लिए संवेदनशील फाइलें रखने के उनके आदतन आचरण के बारे में चिंता व्यक्त की थी। इससे उनके भ्रष्टचार में लिप्त होने के दुर्भावनापूर्ण इरादे और नापाक मंसूबे स्पष्ट रूप से साबित होते हैं। फिर उनको दिल्ली सरकार में भेज दिया गया था। नोट की कापी शिकायत कि साथ लगाई गई है ।

सर्विसेज मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि तथ्यों, परिस्थितियों और घटनाओं के कालक्रम से यह स्पष्ट है कि एक संवेदनशील पद पर आसीन एक वरिष्ठ अधिकारी एआईएस नियमों के नियमों का सीधा उल्लंघन कर रहा है और व्यक्तिगत लाभ के लिए झूठ, तुच्छ और मनगढ़ंत गलत सूचना फैला रहा है। नोट में लिखा है कि इससे यह सवाल भी उठता है कि संबंधित अधिकारी कुछ फाइलों को अपने पास क्यों रख रहा है और अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भी इसे एक्सेस करने से रोक रहा है, और क्या वह खुद फाइलों के साथ छेड़छाड़ या उसको नष्ट करने में लिप्त है?

आधिकारिक रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने और कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए मंत्री ने विशेष सचिव (सतर्कता) राजशेखर पर ये कार्रवाई करने की सिफारिश की है-

ए- सतर्कता विभाग से तत्काल प्रभाव से स्थानान्तरित/हटाने का आदेश दिया जाए।

बी- एआईएस (आचरण) नियम 1968 नियम-3(1)(1ए), नियम 3(2)(2ए),(28) (vi)(vii), (x)(xii), नियम-3(3)(1)(u), नियम-7, नियम-9, नियम-17 और नियम-18 के उल्लंघन के लिए उसके खिलाफ एआईएस (डी एंड ए) नियम 1969 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए। 

सी- आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में भ्रष्ट आचरण और उसके कृत्यों/कर्मों की विभिन्न शिकायतों की जांच एक एजेंसी को भेजी जाए।

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