केजरीवाल सरकार द्वारा प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ‘1857 की क्रांति’ के महानायकों की याद में दिल्ली सचिवालय में प्रदर्शनी का किया गया आयोजन

यह प्रदर्शनी दिल्ली सचिवालय में 22 मई से 2 जून तक तक जारी रहेगी – गोपाल राय

दिल्ली सचिवालय मे सामन्य प्रशासन विभाग द्वारा प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ‘1857 की क्रांति’ के महानायकों की याद में प्रदर्शनी कार्यक्रम का आयोजन किया गया |  दिल्ली के सामान्य प्रशासन मंत्री गोपाल राय ने प्रदर्शनी का शुभारम्भ किया | यह प्रदर्शनी दिल्ली सचिवालय में 22 मई से 2 जून तक तक जारी रहेगी |कार्यक्रम के दौरान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री आर माधवन को भी सम्मानित किया गया |

प्रदर्शनी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिल्ली के सामान्य प्रशासन मंत्री गोपाल राय ने बताया कि आजादी शब्द अपने आप में विशेष महत्व रखता है। इस शब्द की गहनता से महत्वता केवल वही जान सकता है, जिसने गुलामी की जंजीरें देखी हुई है। स्वतंत्रता सेनानियों ने समय-समय पर निरंतर अंग्रेजों के साथ संघर्ष किया और भारत को आजाद करवाया। आज हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं तो केवल स्वतंत्रता सेनानियों के महत्वपूर्ण योगदान की वजह से, जिन्होंने देश को आजाद रखने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। और आज हमारी सरकार ने इन्ही सेनानियों को याद करते हुए इस प्रदर्शनी का आयोजन किया है | इस प्रदर्शनी से हम प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ‘1857 की क्रांति’ के महानायकों को याद करेंगे | यह प्रदर्शनी 22 मई से 2 जून तक दिल्ली सचिवालय में जारी रहेगी | कार्यक्रम के दौरान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री आर माधवन को भी सम्मानित किया गया |

उन्होंने बताया की भारत के स्वतंत्रता संग्राम में 1857  की क्रांति का महत्वपूर्ण योगदान रहा है | खासकर दिल्ली में हुई 1857  की मुख्य गतिविधियों ने जनता का ध्यान दिल्ली की तरफ खींचा है | भले ही अंग्रेज़ो ने अपनी ताकत और कूट नीतियों के दम पर 1857  की क्रांति का दमन कर दिया हो लेकिन इस क्रांति से जिस विद्रोह की चिंगारी की शुरुआत हुई उसने आने वाले स्वतंत्रता आंदोलनों की नींव रखी और स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरणा दी | आज इन्ही सब घटनाओ को उजागर करना इस प्रदर्शनी का मुख्य लक्ष्य है |

सामान्य प्रशासन मंत्री गोपाल राय ने कहा की भारतीय इतिहास में हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने 1857 के आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति दी हैं जिनके बारे में लोगों को अब तक पता नहीं है। अब आवश्यकता इस बात की है कि उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में नए सिरे से दुनिया के सामने उनके योगदान को प्रस्तुत किया जाए।

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