जन्माष्टमी पर आखिर क्यों लगाते हैं श्रीकृष्ण को धनिए की पंजीरी का भोग?

देशभर में आज जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही धूम-धाम से मनाया जा रहा है। हिन्दू धर्म के मुताबिक हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है।

मान्यता है कि इस दिन रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण जी का जन्म हुआ था और इसलिए इस को कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन पूरे देश के घर और मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों को बड़ी ही खूबसूरती के साथ सजाया जाता है। लोग घरों में बच्चों को बाल गोपाल के रूप में सजाते है। वहीं, घर में विराजित लड्डू गोपाल का भी पूरा श्रृंगार किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। वैसे हिंदू धर्म में यह भी मान्यता है जन्माष्टमी के दिन जो भी भक्त व्रत रख कर भगवान श्रीकृष्ण की अराधना करता है तो उसकी मुराद पूरी होती है।

लड्डू गोपाल को पसंद है धनिए की पंजीरी

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक श्रीकृष्ण का जन्म जन्माष्टमी की रात 12 बजे हुआ था, इसलिए व्रति रात 12 बजे के बाद ही भगवान को भोग लगाकर ही व्रत खोलते हैं। यही नहीं इस दिन लड्डू गोपाल को 56 भोग लगाने की परंपरा है। इसमें धनिए की पंजीरी उनका अति प्रिय भोग है। जन्माष्टमी के दिन धनिया की पंजीरी का ही श्रीकृष्ण जी को क्यों भोग लगाया जाता है? जानें इसके पीछे की असली वजह।

तो इसलिए लगाया जाता है पंजीरी का भोग

वैसे तो भगवान लड्डू गोपाल को माखन खाना बेहद पसंद है लेकिन इसके अलावा जन्माष्टमी के त्योहार पर एक और भोग उन्हें चढ़ाया जाता है, जो उन्हें काफी पसंद है।भगवान श्रीकृष्ण को धनिया की पंजीरी भी काफी अच्छी लगती है, जिसे भोग में लगाया जाता है। दरअसल धनिए की पंजीरी जन्माष्टमी में भगवान कृष्ण को इसलिए अर्पित की जाती है क्योंकि यह त्योहार वर्षा ऋतु में मनाया जाता है।

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