दिल्ली के लोग भेदभाव का सामना कर रहे हैं, केंद्र को सौतेला व्यवहार बंद करना चाहिए- अरविंद केजरीवाल

दिल्लीवासियों ने आयकर के रूप में 1.78 लाख करोड़ का भुगतान किया लेकिन इसमें केंद्र ने दिल्ली का हिस्सा जीरो कर दिया है- अरविंद केजरीवाल

मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय करों में दिल्ली के वाजिब हिस्से को लेकर पुरजोर तरीके से मांग उठाई है। केंद्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिखकर सीएम श्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले 23 वर्षों में दिल्ली के लोगों के साथ हुए भेदभाव को उजागर किया है। इसके साथ ही आगामी 16वें केंद्रीय वित्त आयोग में इसपर ध्यान देने का आग्रह किया है। क्योंकि दिल्लीवासियों ने आयकर में 1.78 लाख करोड़ का भुगतान किया, लेकिन केंद्र ने वित्त वर्ष 2023-24 में दिल्ली की हिस्सेदारी जीरो कर दी है। इसके अलावा केंद्रीय करों में दिल्ली का हिस्सा पिछले 23 वर्षों से रुका हुआ है। वित्त वर्ष 2022-2023 में दिल्ली को केवल 350 करोड़ मिले जबकि उसे 7,378 करोड़ मिलने चाहिए थे। सीएम केजरीवाल ने दिल्ली को एक अनूठा मामला मानकर इसे 16वें वित्त आयोग के संदर्भ की शर्तों में शामिल करने का अनुरोध किया है।

मिल रहा है। एमसीडी वर्तमान में 2 करोड़ दिल्लीवासियों को सेवाएं प्रदान करती है। दूसरे राज्यों की यूएलबी की तरह प्राथमिक शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है। केंद्रीय वित्त आयोगों की उपरोक्त सिफारिशों के आधार पर फंड की कमी से जूझ रही एमसीडी को 2015 से अतिरिक्त 7000 करोड़ रुपये मिलने हैं। यह एमसीडी के लिए एक वरदान होता, जो भारी बजट घाटे का सामना कर रही है। जिससे वेंडर्स को देर से भुगतान हो रहा है। कर्मचारियों के वेतन में देरी हो रही है, जिससे वह अपनी पूरी क्षमता से काम करने में सक्षम नहीं है।

मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री से दिल्ली को एक अनूठे मामले के रूप में मान्यता देने और इसे 16वें वित्त आयोग के संदर्भ की शर्तों में शामिल करने का आह्वान किया है। उन्होंने पत्र के जरिए कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की दिल्ली सरकार कई वर्षों से वित्तीय भेदभाव का मुद्दा उठाती रही है। पिछले संवादों के जरिए यह बताया गया है कि केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण दिल्ली का नाम वित्त आयोग के ‘संदर्भ की शर्तों’ से हटा दिया गया है और यह कर हस्तांतरण के दायरे में नहीं आता है। इसलिए दूसरे राज्यों की तरह व्यवहार नहीं किया जाता है। लेकिन दिल्ली “विधानमंडल के साथ केंद्र शासित प्रदेश” का एक अनूठा मामला है। दिल्ली अन्य राज्यों के समान ही अपने वित्त का प्रबंधन खुद करती है। ऐसे में मेरा अनुरोध है कि कृपया दिल्ली को एक अद्वितीय मामला मानें और अपेक्षित प्रक्रिया का पालन करते हुए इसे 16वें वित्त आयोग के संदर्भ की शर्तों में शामिल करें। अब समय आ गया है कि दिल्ली के साथ न्याय किया जाए। दूसरे राज्यों की तरह दिल्ली को उसका उचित हिस्सा मिले। दिल्लीवासी आपकी मदद के लिए हमेशा आभारी रहेंगे।

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