मणि आर्य / क्राइम हिलोरे
नई दिल्ली। दिल्ली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अंदरूनी हलचल इन दिनों पार्टी के नेताओं के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। मानसून की बारिश के दौरान जहां आम जनता सड़कों पर जलभराव और ट्रैफिक जाम से परेशान है, वहीं भाजपा के भीतर एक दूसरी तरह का “टपका” नेताओं की चिंता का विषय बना हुआ है।
यह “टपका” असल में उन नेताओं की ओर इशारा करता है, जिन्हें पार्टी में संगठनात्मक फेरबदल के चलते हटाने या बदलने की चर्चा जोर पकड़ रही है। खासकर मंडल अध्यक्षों और जिलाध्यक्षों के पदों पर बैठे नेताओं को इस बदलाव का डर सता रहा है।दिल्ली भाजपा में संगठनात्मक बदलावों की चर्चा काफी समय से चल रही थी, लेकिन अब यह खबरें ज्यादा मजबूत होती जा रही हैं कि पार्टी नेतृत्व जल्द ही कई पदों पर बदलाव कर सकता है। दिल्ली भाजपा के संगठनात्मक ढांचे में मंडल और जिला अध्यक्षों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि यह नेता जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाने और जनता से सीधा संपर्क साधने का काम करते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से पार्टी की अंदरूनी राजनीति में हो रही खींचतान के चलते, इन नेताओं की स्थिति कमजोर होती नजर आ रही है।
इस बदलाव की मुख्य वजह यह मानी जा रही है कि दिल्ली में भाजपा को लगातार चुनावी असफलताओं का सामना करना पड़ा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था, जबकि हालिया एमसीडी चुनावों में भी उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं आए थे। इन नतीजों ने पार्टी नेतृत्व को संगठनात्मक बदलाव की तरफ धकेला है। पार्टी के शीर्ष नेताओं का मानना है कि जमीनी स्तर पर पार्टी की पकड़ कमजोर हो रही है, और इसके लिए मंडल और जिला स्तर पर बदलाव जरूरी है।दिल्ली भाजपा के कई वरिष्ठ नेता भी मानते हैं कि पार्टी को अगले चुनावों में जीत दिलाने के लिए नए चेहरों की जरूरत है। मौजूदा मंडल और जिला अध्यक्षों को हटाकर युवा और ऊर्जावान नेताओं को मौका देने की योजना बनाई जा रही है, ताकि पार्टी के संगठन को मजबूती मिले और जनता के बीच भाजपा की छवि को और बेहतर बनाया जा सके।हालांकि इस बदलाव की हवा चलते ही मंडल और जिलाध्यक्षों के बीच चिंता का माहौल बन गया है। कई नेताओं को यह डर सता रहा है कि उन्हें उनके पद से हटाया जा सकता है।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि कुछ मंडल और जिलाध्यक्ष खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और वे अपने पद बचाने के लिए लगातार शीर्ष नेतृत्व से संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं।कुछ नेताओं का यह भी मानना है कि इस तरह के बदलाव से पार्टी में फूट पड़ सकती है और असंतुष्ट नेताओं की एक नई खेप खड़ी हो सकती है। वहीं दूसरी ओर, पार्टी के कुछ अन्य नेता इस फेरबदल को सकारात्मक रूप में देख रहे हैं और मानते हैं कि इससे पार्टी में नई ऊर्जा का संचार होगा।
पार्टी नेतृत्व की ओर से हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि संगठन में बड़े पैमाने पर बदलाव की रूपरेखा तैयार हो चुकी है। शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि अगर समय रहते इन बदलावों को अमल में नहीं लाया गया, तो पार्टी को आने वाले विधानसभा और एमसीडी चुनावों में फिर से निराशा हाथ लग सकती है। इस बार की रणनीति यह है कि पार्टी को हर स्तर पर मजबूत किया जाए, ताकि चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया जा सके।
भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष के अनुसार, संगठनात्मक बदलाव पार्टी के हित में हैं और इसका उद्देश्य पार्टी को और अधिक संगठित और सक्रिय बनाना है। उन्होंने कहा कि जिन नेताओं को हटाया जाएगा, उन्हें पार्टी के अन्य महत्वपूर्ण पदों पर समायोजित किया जा सकता है। इस तरह के बदलाव पार्टी की सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं और इसका उद्देश्य पार्टी को सशक्त करना है।
कुल मिलाकर, दिल्ली भाजपा के भीतर इस समय हलचल तेज है। मंडल और जिला अध्यक्षों को हटाने की कवायद ने कई नेताओं को असमंजस में डाल दिया है। वहीं, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि यह बदलाव जरूरी हैं और इससे पार्टी की जड़ें मजबूत होंगी। अब देखना यह है कि यह संगठनात्मक बदलाव दिल्ली भाजपा के लिए कितना कारगर साबित होता है।