हाईकोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम ने बिल्डिंग बायलॉज का उल्लघंन करके बनाए गए मकानों में रविवार को भी तोड़फोड़ की गई। 18 अक्टूबर को हाईकोर्ट की ओर से नियुक्त कमेटी कॉलोनी का निरीक्षण करके स्थिति का जायजा लेगी।
दिल्ली से सटे फरीदाबाद में इससे पहले शनिवार को अवकाश के दिन भी नगर निगम की टीम तोड़फोड़ करता रहा।
तोड़फोड़ को लेकर लोगों ने विरोध करना चाहा, लेकिन पुलिस बल की मौजूदगी में लोगों को समझाकर शांत कर दिया गया। दरअसल 2016 में सैनिक कॉलोनी सोसायटी की ओर से बिल्डिंग बायलॉज की अनदेखी करके बनाई गई इमारतों को लेकर नगर निगम के खिलाफ हाई कोर्ट में केस डाला गया था।
इसमें कहा गया कि पार्किंग के स्थान पर फ्लैट बनाकर उन्हें बेच दिया गया। जिन इमारतों के तीन मंजिला के नक्शे पास थे, उनमें चार मंजिल का निर्माण कर दिया गया।
नक्शे से बाहर जाकर अतिरिक्त निर्माण किया गया। इस तरह नियमों की धज्जियां उड़ाई गई। इन निर्माणों को लेकर निगम को तोड़फोड़ करनी थी, लेकिन निगम ने चुप्पी साधी हुई थी। हाईकोर्ट के आदेश के निगम ने लोकसभा चुनाव से पहले तोड़फोड़ शुरू की थी।
चुनाव घोषित होने के बाद तोड़फोड़ की कार्रवाई को रोक दिया गया। अब निगम ने फिर से तोड़फोड़ शुरू कर दी है। शुक्रवार को 10 से अधिक मकानों में अवैध निर्माण हटाए और शनिवार को 15 अवैध निर्माण तोड़े।
एसडीओ सुरेंद्र हुड्डा के अनुसार अभी चार से पांच दिन तक तोड़फोड़ की कार्रवाई जारी रहेगी। लोगों से अपील की गई है कि वह अपना निर्माण स्वयं ही हटा ले। ताकि तोड़फोड़ के दौरान अधिक नुकसान नहीं हो।
फरीदाबाद विधानसभा से नवनिर्वाचित विधायक विपुल गोयल चुनाव जीतने के एक दिन बाद ही निगमअधिकारियों की बैठक लेकर अपनी विधानसभा में समस्याओं को दूर करने के निर्देश जारी कर दिए। विपुल गोयल ने बुधवार को सर्किट हाउस में सुबह निगम अधिकारियों की बैठक ली। बैठक में उन्होंने सफाई व्यवस्था, सीवरेज समस्या और स्ट्रीट लाइटों को सात दिन में दुरुस्त करने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र की हालत देखी है। इसलिए सात दिन बाद वह निरीक्षण करने के लिए निकलेंगे और देखेंगे कि समस्याओं का समाधान हुआ या नहीं। विपुल गोयल ने कहा कि उनकी विधानसभा की कालोनियों और गांवों के साथ-साथ सेक्टरों में भी गंदगी का बुरा हाल है। इसके साथ कई जगह पर सीवरेज जाम की स्थिति बनी हुई है।
इन इलाकों से बदबू की वजह से बिना मॉस्क पहले निकल पाना संभव नहीं है। इसलिए अधिकारी कार्यालय में नहीं बैठे। बल्कि शहर में घूमकर स्थिति का जायजा ले। विधायक ने अधिकारियों से पूछा कि उनके विधानसभा में कितनी स्ट्रीट लाइट लगी हुई हैं और उसमें से कितनी लाइटें खराब हैं।
इसका जब अधिकारी संतोष जनक उत्तर नहीं दे पाए तो भाजपा विधायक ने यह डाटा तैयार करने के लिए कहा कि उन्हें पता होना चाहिए कि कितनी लाइटें खराब हैं। बैठक के दौरान ही विधायक ने निगमायुक्त से फोन पर बात करके समस्याओं के समाधान को कहा।