निगम की मिलीभगत से अवैध निर्माण का गोरखधंधा: पहाड़गंज में बैंक की संपत्ति पर बन गया होटल

नई दिल्ली के आर्य नगर, पहाड़गंज में एक बार फिर से दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। पता 8421, आर्य नगर पर स्थित एक बैंक की संपत्ति पर भू माफिया द्वारा खुलेआम अवैध निर्माण कर दिल्ली सरकार की स्कीम की धज्जियां उड़ाते हुए ‘Hotel/Air B&B’ नाम पर होटल खड़ा कर दिया गया है। इस स्कीम के तहत जहां केवल 6 कमरे बनाने का प्रावधान है वह 9 कमरे बना दिए गए हैं। भू तल पर पार्किंग के स्थान पर दुकानें बना दी गई है वो गत्तों की रद्दी का गोदाम।अगर गलती से भी इन गत्तों के गोदाम में आग लगी तो पूरा होटल ब्ल्यू बेल्स जलकर खाक हो जाएगा साथ ही होटल में रुके मुसाफिर भी। जहां केवल यह मामला न केवल कानून और नियमों की खुली अवहेलना है, बल्कि नगर निगम और स्थानीय प्रशासन और दिल्ली फायर सर्विसेज की मिलीभगत की ओर भी इशारा करता है।

दिल्ली जैसे महानगर में जहां अवैध निर्माणों को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने समय-समय पर सख्त टिप्पणियां की हैं, वहीं इसी शहर में एक सार्वजनिक वित्तीय संस्था की संपत्ति पर इस तरह की जबरन कब्जेदारी और अवैध निर्माण, व्यवस्था की गंभीर विफलता को उजागर करता है।

भू माफिया ने जिस भवन 8421 आर्य नगर पहाड़ गंज में कब्जा कर होटल बना दिया है, वह असल में एक बैंक की संपत्ति रही है। और इसे कोर्ट द्वारा सील किया गया था।इस जमीन और भवन का स्वामित्व स्पष्ट रूप से बैंक के नाम था, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से न तो बैंक प्रशासन ने इस पर आपत्ति जताई, न ही नगर निगम ने निर्माण के दौरान कोई हस्तक्षेप किया। इससे यह संदेह पैदा होता है कि यह सबकुछ प्रशासनिक चुप्पी या साझेदारी के बिना संभव नहीं हो सकता।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन निगम के अधिकारियों ने या तो संज्ञान नहीं लिया या फिर मामूली निरीक्षण कर फाइलें बंद कर दीं। निर्माण कार्य लंबे समय तक जारी रहा, और अब वहां एक पूरा होटल ब्ल्यू बेल्स नाम से ऑपरेशनल हो चुका है। इसमें पर्यटकों की बुकिंग भी धड़ल्ले से चल रही है, जबकि न तो होटल के पास वैध ट्रेड लाइसेंस है और न ही फायर सेफ्टी और अन्य अनिवार्य मंजूरियां।

यह सवाल भी अहम है कि यदि बैंक की संपत्ति का अधिग्रहण अवैध रूप से हुआ है, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या बैंक प्रशासन अपनी चुप्पी के लिए जवाबदेह होगा या निगम के भ्रष्ट अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होगी?

भू माफिया पर पहले भी विभिन्न निर्माणों में अनियमितताओं के आरोप लगे हैं, लेकिन हर बार वह कार्रवाई से बच निकलता है। इससे यह साफ हो जाता है कि उसे राजनीतिक संरक्षण या प्रशासनिक सहमति प्राप्त है।

यह मामला सिर्फ एक अवैध निर्माण का नहीं है, बल्कि यह बताता है कि किस तरह एक मजबूत तंत्र बन चुका है, जिसमें बिल्डर्स, नगर निगम, राजनेता और शायद पुलिस तक भी शामिल हैं। यह नेटवर्क कानून को ताक पर रखकर करोड़ों की अवैध संपत्तियां खड़ी करता है और जब तक जनता आवाज उठाती है, तब तक सबकुछ “रेगुलराइज” हो जाता है।

अब समय आ गया है कि ऐसे मामलों पर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल गंभीरता से कार्रवाई करें। यह आवश्यक है कि:

होटल के संचालन को तुरंत बंद किया जाए और भवन को सील किया जाए।

बैंक संपत्ति के अधिग्रहण की न्यायिक जांच कराई जाए।

निर्माण के दौरान निगम की भूमिका की स्वतंत्र जांच हो।

दोषी अधिकारियों और बिल्डर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।

यदि अब भी सरकार और प्रशासन आंखें मूंदे रहते हैं, तो यह न केवल दिल्ली की कानून व्यवस्था के लिए खतरा है, बल्कि जनता के भरोसे पर भी करारा प्रहार है। पत्रकारों, सामाजिक संगठनों और आरटीआई कार्यकर्ताओं को इस मामले को सामने लाना चाहिए ताकि व्यवस्था को झकझोरा जा सके और जिम्मेदारों को उनके पद से हटाया जा सके।

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