हिंदी पत्रकारिता दिवस पर विशेष
आज भी हजारों ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें उठाया नहीं गया,
गरीबों की गरीबी, मजबूरो की मजबूरी को बताया नहीं गया ।
वर्तमान में हिंदी पत्रकारिता ने अंग्रेजी पत्रकारिता के दबदबे को खत्म कर दिया है। पहले देश-विदेश में अंग्रेजी पत्रकारिता का दबदबा था लेकिन आज हिंदी भाषा का झण्डा चहुंदिश लहरा रहा है।पत्रकारिता जिसे मीडिया कहा जाता है,को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में दर्जा मिला है। मीडिया लिखित, मौखिक या श्रव्य किसी भी रूप में हो सकती है। मीडिया जनता को जानकारी देती है कि किस जगह किस कानून का उल्लंघन हो रहा है या किसका नहीं। सभी अपनी जिम्मेदारी तथा निष्ठा से कम कर रहे हैं या नहीं। मीडिया जो की जनता तथा शासन दोनों के बीच एक माध्यम का काम करती है लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहलाती है।
पत्रकारिता क्या है ?
पत्रकारिता आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख व्यवसाय है। पत्रकारिता समाज का आईना है जो मनुष्य की आस्थाओं, विचारों, मूल्यों को सही रूप में जनता के सामने रखती है। ऐसे में पत्रकारिता साहित्यिक-कलात्मक रुझान को बढ़ाना, नैतिक तथा सामाजिक मूल्यों की प्रतिष्ठा करना, भौतिकवादी दुनिया में सही मार्ग दिखाना, सुखी जीवन के द्वार खोलना, समाचारों का एकत्रीकरण करना,लिखना, जानकारी एकत्रित करके पहुंचना, संपादित करना और सम्यक प्रस्तुतीकरण करना होता है ।पत्रकारिता के भी अनेक माध्यम हो सकते हैं जैसे- अखबार, पत्रिकाएं, रेडियो, दूरदर्शन, वेब पत्रकारिता आदि। बदलते वक्त के साथ बाजारवाद और पत्रकारिता के अंतर्संबंधों ने पत्रकारिता की विषय वस्तु तथा प्रस्तुति शैली में व्यापक परिवर्तन किया है। भारत में अक्सर प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर खूब चर्चा होती रहती है। मीडिया किसी भी देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आम लोगों को इस बारे में शिक्षित किया जाता है कि समाज में क्या हो रहा है क्या नहीं। प्रेस स्वतंत्रता एक बहुत गंभीर मुद्दा है और उन्हें महत्व दिया जाना चाहिए। हमारे आसपास हो या छोटे बड़े शहरों में या अलग-अलग राज्यों में या फिर देश दुनिया में क्या हो रहा है इसकी जानकारी हमें पत्रकारिता के कारण ही मिलती है। पत्रकारिता के कारण ही देश दुनिया की छोटी-बड़ी खबरों से घटनाओं से परिचित हो पाते हैं। पत्रकारिता मतलब समाज के मुद्दों को उठाना, जनता की आवाज बनकर उनके हकों के लिए सरकार से लड़ना,भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना, सरकारों की गलत नीतियों को जनता के सामने लाना और सच क्या है यह जनता को बताना, यह है वास्तविकता में देखा जाए तो पत्रकारिता। यह एक ऐसी शक्ति है जो किसी भी सत्ता को हिला कर रख सकती हैं। लेकिन अगर यही पत्रकारिता जिम्मेदारियां के साथ नहीं की जाए तो जनता,समाज और सरकार के लिए हानिकारक भी साबित हो सकती है।
पत्रकारिता लोकतन्त्र का अविभाज्य अंग है। प्रतिपल परिवर्तित होनेवाले जीवन और जगत का दर्शन पत्रकारिता द्वारा ही सम्भव है। परिस्थितियों के अध्ययन, चिन्तन-मनन और आत्माभिव्यक्ति की प्रवृत्ति और दूसरों का कल्याण अर्थात् लोकमंगल की भावना ने ही पत्रकारिता को जन्म दिया। सामायिक ज्ञान का व्यवसाय ही पत्रकारिता है।
हिंदी पत्रकारिता दिवस क्यों मनाया जाता है ?
हिंदी भाषा में उदंड मार्तण्ड नाम से पहला समाचार पत्र 30 मई 1826 में निकल गया था इसलिए इस दिन को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है।पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने से कलकत्ता से एक साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर शुरू किया था इसके प्रकाशक और संपादक भी स्वयं ही थे। हिंदी पत्रकारिता दिवस की आजादी के प्रारंभिक सिद्धांतों का जश्न मनाने, दुनिया भर में प्रेस की आजादी की स्वतंत्रता के मूल्यांकन के लिए और उन आक्रमणों से मीडिया को बचाने के लिए जो प्रेस की आजादी के लिए खतरा बना रहे हैं,इन सभी के लिए दिवस मनाया जाता है। पत्रकारिता दिवस उन पत्रकारों को सलाम करने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने कर्तव्य की जिंदगी में अपना जीवन को खो दिया है। यह नागरिकों की प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन के बारे में सूचित करने के लिए एक सूचना के रूप में कार्य करता है। यह एक दुखद तथ्य है कि दुनिया भर के कई देशों और प्रकाशकों पर जुर्माना, निलंबन, सेंसर की रोक लगाई जाती है और संपादको,प्रकाशको और पत्रकारों पर हमला किया जाता है तथा उन्हें रियासत में लेकर किया जाता है और यहां तक की हत्या भी कर दी जाती है। पत्रकारों की सुरक्षा के लिए तथा इन्हें प्रोत्साहित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। पत्रकारिता में लोकप्रिय होने के लिए नहीं आना चाहिए बल्कि पत्रकार का कर्तव्य होता की सच्चाई का पता लगाकर जनता को दिखलाएं।
पत्रकारिता का उद्देश्य –
पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य सेवा होना चाहिए। लोकतंत्र की सफलता या विफलता उसके पत्रकारिता पर आधारित रहती है। पत्रकार की पहली निष्ठा जनता के प्रति होनी चाहिए और स्वतंत्र रहकर किसी भी प्रकार के व्यक्तिगत दलों, संगठनों, राजनीतिक लोगों और पार्टियों के दबाव में नहीं आकर सच्चाई को उजागर करना चाहिए।
मदन मोहन भास्कर
लेखक एवं पत्रकार
हिण्डौन सिटी, करौली
मो.-9783900300