मणि आर्य
नई दिल्ली। वरिष्ठ पत्रकार और विश्व पत्रकार महासंघ दिल्ली प्रदेश के प्रभारी अशोक कुमार निर्भय ने केंद्र सरकार से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए पत्रकार सुरक्षा आयोग की स्थापना की मांग की है। उनका कहना है कि देशभर में पत्रकारों पर हो रहे हमलों और उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहार की घटनाओं को देखते हुए यह आयोग बेहद जरूरी हो गया है। पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारियों में वृद्धि हुई है, लेकिन इस पर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। अशोक कुमार निर्भय ने पत्रकारों की स्वतंत्रता और सुरक्षा को लोकतंत्र का आधार बताते हुए सरकार से ठोस कार्रवाई की अपेक्षा जताई है।अशोक कुमार निर्भय का मानना है कि पत्रकारों की भूमिका लोकतंत्र में बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे जनता की आवाज़ को सरकार तक पहुंचाने का काम करते हैं। उनकी स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा हालात में, पत्रकारों को आए दिन धमकियों और शारीरिक हमलों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी पेशेवर स्वतंत्रता पर असर पड़ता है। ऐसे में अगर पत्रकार सुरक्षा आयोग की स्थापना होती है तो इससे न केवल पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि उनकी स्वतंत्रता भी संरक्षित रहेगी।निर्भय ने जोर देकर कहा कि भारत जैसे बड़े और विविधतापूर्ण देश में पत्रकारों को स्वतंत्रता से काम करने की जरूरत है। सरकार को इस दिशा में उचित कदम उठाने चाहिए ताकि पत्रकार भयमुक्त वातावरण में अपने कार्यों को अंजाम दे सकें। उनका मानना है कि पत्रकारों पर होने वाले हमलों की सही तरीके से जांच होनी चाहिए और दोषियों को सख्त सजा दी जानी चाहिए, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। उन्होंने यह भी कहा कि आयोग पत्रकारों की सुरक्षा और उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए एक स्वतंत्र और निष्पक्ष मंच प्रदान करेगा।अशोक कुमार निर्भय ने इस मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्ट और सिफारिशें तैयार करने की योजना का भी संकेत दिया है, जिसे वह केंद्र सरकार को सौंपने का विचार कर रहे हैं। उनका मानना है कि पत्रकार सुरक्षा आयोग के माध्यम से सरकार और पत्रकारों के बीच संवाद को मजबूत किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकार सुरक्षा आयोग के गठन से न केवल पत्रकारों को राहत मिलेगी, बल्कि लोकतांत्रिक प्रणाली भी मजबूत होगी।पत्रकारों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और हमलों के मामलों में हाल के वर्षों में वृद्धि देखी गई है। कई पत्रकारों ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है, और कुछ ने तो अपनी जान की बाजी लगाकर सच्चाई को जनता के सामने रखा है। इन हालातों में, पत्रकार सुरक्षा आयोग की स्थापना पत्रकारों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।अशोक कुमार निर्भय ने कहा कि कई देशों में पत्रकार सुरक्षा के लिए आयोग या संस्थाएं बनाई गई हैं, जो पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा करती हैं और उन्हें कानूनी सहायता प्रदान करती हैं। भारत में भी इसी तरह की संस्था की आवश्यकता है। उनका कहना है कि आयोग पत्रकारों के खिलाफ होने वाले अपराधों की जांच करने, उन्हें न्याय दिलाने और सरकार व प्रशासन पर दबाव डालने का काम कर सकता है।उन्होंने यह भी कहा कि अगर पत्रकार सुरक्षित नहीं हैं, तो उनके द्वारा दी जाने वाली सूचनाओं की सटीकता और निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं। पत्रकारों को अपनी रिपोर्टिंग के दौरान किसी भी प्रकार के दबाव या खतरे का सामना नहीं करना चाहिए, ताकि वे निष्पक्ष और सत्यापित जानकारी जनता तक पहुंचा सकें। निर्भय ने इस बात पर भी जोर दिया कि पत्रकारिता को चौथा स्तंभ कहा जाता है, और इसकी मजबूती लोकतंत्र की मजबूती का संकेत है। ऐसे में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय किए जाने चाहिए।अशोक कुमार निर्भय ने सरकार से अपील की कि वह इस मामले को प्राथमिकता दे और जल्द से जल्द पत्रकार सुरक्षा आयोग के गठन की दिशा में कदम उठाए। उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा के साथ-साथ उन्हें स्वतंत्रता से काम करने का माहौल भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए, ताकि वे बिना किसी भय के अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकें। उन्होंने सरकार को यह भी सुझाव दिया कि आयोग के गठन में पत्रकार संगठनों और मीडिया संस्थानों की राय को भी शामिल किया जाए, ताकि एक संतुलित और प्रभावी व्यवस्था तैयार की जा सके।पत्रकारों की सुरक्षा का मुद्दा सिर्फ एक वर्ग विशेष का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए महत्वपूर्ण है। जब पत्रकार सुरक्षित होंगे, तभी वे निष्पक्ष और सत्य पर आधारित समाचारों को जनता तक पहुंचा सकेंगे। यह न केवल पत्रकारिता के लिए, बल्कि लोकतंत्र की स्थिरता और मजबूती के लिए भी आवश्यक है।अशोक कुमार निर्भय ने अंत में कहा कि पत्रकार सुरक्षा आयोग के गठन से सरकार और पत्रकारों के बीच विश्वास और संवाद की प्रक्रिया को भी मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सिर्फ सरकार का कर्तव्य नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है, क्योंकि पत्रकारों की आवाज़ ही जनता की आवाज़ होती है।