विशेष संवाददाता चिमन लाल
डीसी प्रदीप दहिया ने जिला के किसानों से किया आह्वान
झज्जर
डीसी प्रदीप दहिया ने किसानों को सलाह दी है कि खेत में गेहूं की कटाई के बाद, अवशेषों को ना जलाएं। इससे प्रदूषण फैलता है जो हानिकारक है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा फसल अवशेषों में आगजनी करने पर पूर्ण प्रतिबंध भी लगाया हुआ है। ऐसे में किसान गेहूं फसल की कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों में आग न लगाएं बल्कि इसका उचित प्रकार से प्रबंधन करें, जैसे कि पशु चारे के तौर पर या खेत में ही मिलाकर खाद के रूप में उपयोग करें। डीसी प्रदीप दहिया ने बताया कि किसानों को फ़सल अवशेष ना जलाने के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इससे पर्यावरण को नुकसान होता है और मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है। डीसी ने कहा कि फसल अवशेष जलाना एक अपराध है और इसके लिए जुर्माना लगाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि फसल अवशेष जलाने से वायु प्रदूषण होता है और इससे सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इससे खेत की मिट्टी में मौजूद कार्बनिक पदार्थ नष्ट हो जाते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है साथ ही मिट्टी में रहने वाले मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं, जो कि फसल के लिए फायदेमंद होते हैं। डीसी ने बताया कि फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। फसल अवशेषों को पशु चारे और विभिन्न उद्योग इकाइयों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। डीसी ने पुनः किसानों से अपील की है कि वे फसल अवशेषों को न जलाकर सदुपयोग करें। उन्होंने यह भी कहा कि फसल अवशेषों को जलाने पर कार्रवाई की जाएगी।