फ़र्ज़ी यु टीयूब चैनलों और कथित स्वयंभू पत्रकारों से गिरती पत्रकारिता की साख 

अशोक कुमार निर्भय 

नई दिल्ली। गली-गली में यूट्यूब चैनलों की बाढ़ आ गई है। पत्रकारिता, जो कभी समाज और सरकार के बीच एक मजबूत सेतु का कार्य करती थी, आज इन कथित दलाल टाइप फर्जी यूट्यूब चैनलों के कारण बदनाम हो रही है। इन चैनलों ने पत्रकारिता को न सिर्फ धरातल पर ला दिया है, बल्कि इसकी गरिमा और अस्मिता को भी गहरी ठेस पहुंचाई है।हाल ही में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें यूट्यूब पर बने कथित पत्रकार समाज में भ्रम फैलाते हुए देखे गए हैं। ये फर्जी यूट्यूब चैनल संचालक अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए खबरों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करते हैं। वे झूठे सनसनीखेज आरोपों के सहारे लोगों को गुमराह करने का काम करते हैं, जिससे समाज में तनाव और अराजकता का माहौल पैदा हो रहा है।सरकार और प्रशासन भी इन फर्जी चैनलों के खिलाफ गंभीर होती नजर आ रही है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इस विषय पर स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि बिना मान्यता प्राप्त यूट्यूब चैनलों को पत्रकारिता के नाम पर गुमराह करने का अधिकार नहीं है। फर्जी पत्रकारों द्वारा समाज में जहर फैलाने के कृत्य पर कानूनी शिकंजा कसने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने की जरूरत है।पत्रकारिता की गरिमा को बचाए रखने के लिए सरकार को इन फर्जी यूट्यूब चैनलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसे चैनल न केवल लोगों को गुमराह कर रहे हैं, बल्कि वास्तविक पत्रकारों की मेहनत और विश्वसनीयता को भी ठेस पहुंचा रहे हैं। इन फर्जी यूट्यूब चैनलों के माध्यम से समाज को भ्रमित करने वालों के खिलाफ कठोर दंडात्मक प्रावधान लागू किए जाने चाहिए।हाल ही में देशभर में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें यूट्यूब चैनलों के फर्जी पत्रकार अपने फायदे के लिए गलत सूचना फैलाते हुए पकड़े गए हैं। कुछ लोग व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने, अवैध वसूली करने या अपने स्वार्थ के लिए अफवाहें फैलाने का काम कर रहे हैं। ऐसे चैनलों को बंद करने और इनके संचालकों पर कानूनी कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है।बैंक खाता खोलने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है लेकिन एक जीमेल अकाउंट तो निराधार व्यक्ति भी खोल सकता है जो जीमेल बनाकर फर्जी अकाउंट से यूट्यूब चैनल बना लेता है। फिर उसके नाम की आईडी और माइक लेकर बिना किसी योग्यता अथवा पत्रकारिता की पढ़ाई के ही कथित रूप से पत्रकार बनाकर समाज और सरकारी विभागों को ब्लैकमेल करना शुरू कर देता है। सरकारी अधिकारियों को भी इन कथित पत्रकारों और फर्जी यूट्यूब चैनलों का बहिष्कार करना चाहिए और कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।केंद्र सरकार को चाहिए कि वह इन फर्जी पत्रकारों और उनके पीछे खड़े दलालों को बेनकाब करे। इसके लिए संबंधित एजेंसियों को इन चैनलों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए। जो व्यक्ति बिना किसी प्रमाण और प्रमाणिकता के खुद को पत्रकार घोषित करके जनता को गुमराह कर रहे हैं, उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।साथ ही, समाज को भी सचेत रहना होगा कि वह बिना सत्यापन के किसी भी यूट्यूब चैनल की खबरों पर भरोसा न करें। आम जनता को चाहिए कि वह सिर्फ प्रमाणिक और विश्वसनीय समाचार स्रोतों पर ही भरोसा करे।पत्रकारिता की साख को बचाने के लिए सरकार और समाज को एकजुट होकर फर्जी यूट्यूब पत्रकारों के खिलाफ अभियान चलाना चाहिए ताकि पत्रकारिता अपने मूल उद्देश्य, अर्थात सत्य को उजागर करने और समाज को जागरूक करने के पथ पर अग्रसर रह सके।हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस विषय पर राज्यों को निर्देश जारी किया है कि वह फर्जी यूट्यूब पत्रकारों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। कुछ राज्यों में तो ऐसे कथित पत्रकारों को समाज में तनाव फैलाने के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया है।सूत्रों के अनुसार, फर्जी यूट्यूब चैनलों के कई संचालक न केवल अवैध ढंग से पैसे ऐंठते हैं, बल्कि आम नागरिकों को धमकाकर अपना प्रभाव भी बढ़ाने का प्रयास करते हैं। ऐसे फर्जी पत्रकार कई बार प्रशासनिक अधिकारियों, व्यापारियों और यहां तक कि राजनेताओं को भी बदनाम करने के लिए झूठी खबरें प्रसारित करते हैं।प्रसार भारती के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऐसे फर्जी यूट्यूब पत्रकारों के कारण विश्वसनीय समाचार संस्थाओं पर भी अविश्वास का खतरा मंडरा रहा है। जनता को भ्रम से बचाने के लिए सरकार को जल्द ही ऐसे फर्जी पत्रकारों के खिलाफ ठोस कानून लाने की जरूरत है।

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