कार्निवल में महिला एंत्रप्रेन्योर्स ने दिखाया कि अपने शानदार डिकोरेटिव्स से लेकर ऑर्गेनिक प्रॉडक्ट्स जैसे विभिन्न स्टार्टअप्स के ज़रिए मुनाफ़ा कमाने के साथ सैकड़ों लोगों को रोज़गार भी दे रही है
नई दिल्ली*
महिला एवं बाल विकास मंत्री आतिशी ने शुक्रवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी महिला संघ के दीपावली कार्निवल का उद्घाटन किया और महिला एंत्रप्रेन्योर्स के साथ चर्चा की।कार्निवल में महिला एंत्रप्रेन्योर्स ने प्रदर्शनी के ज़रिए अपने प्रोडक्ट व स्टार्टअप आईडिया दिखाए।
इस मौक़े पर महिला एवं बाल विकास मंत्री आतिशी ने कहा कि, दिल्ली विश्वविद्यालय महिला संघ जिस तरह से महिलाओं की बेहतरी के लिए काम कर रही है वो कबीले तारीफ़ है। उन्होंने कहा कि एक महिला संघ होना, उसका एक क्रेच होना और विभिन्न गतिविधियों द्वारा महिलाओं को आगे बढ़ने का मौक़ा देना कई मायनों में अनूठी पहल है क्योंकि ये इस बात को पहचानता है कि, एक महिला का अपने घर से बाहर निकलना कितनी चुनौतियों से भरा होता है। क्योंकि उसे अपने घर का बच्चों का ध्यान भी रखना होता है। ऐसे में दिल्ली विश्वविद्यालय महिला संघ ने अपने क्रेच और प्ले स्कूल के साथ महिलाओं को चिंतामुक्त होकर घर से बाहर निकलकर काम करने की स्वतंत्रता दी है।
उन्होंने आगे कहा कि, दिल्ली विश्वविद्यालय महिला संघ ने सही मायने में महिला सशक्तिकरण और सम्मान के लिए मिसाल क़ायम की है। उनका ये दीपावली कार्निवल महिलाओं के एनजीओ, स्टार्टअप्स, महिला एंत्रप्रेन्योर्स और सेल्फ-हेल्प ग्रुप्स को को मंच दे रहा है ताकि वे आगे बढ़कर आत्मनिर्भर बन सके और रुद्दिवाद को चुनौती दे सके।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना बेहद ज़रूरी है। देश की तरक़्क़ी तभी होगी जब महिलाओं की तरक़्क़ी होगी। उन्होंने कहा कि, आज के समय में महिला एंत्रप्रेन्योरशिप महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने का सबसे कारगर तरीक़ा है क्योंकि केवल उसके ज़रिये हम बड़ी संख्या में महिलाओं को रोज़गार दे सकते है।
उन्होंने कहा कि, दिल्ली विश्वविद्यालय महिला संघ इस बात का प्रमाण है कि महिलायें ही महिलाओं को आगे बढ़ा सकती है क्योंकि वो उनकी चुनौतियों को समझती है, उनकी परिस्थितियों को समझती है और उसके अनुरूप उनकी मदद करती है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि, हर महिला इस परिस्थिति में नहीं होती कि पढ़-लिख कर नौकरी कर सके, अपना घर छोड़ कर कही और काम कर सके। ऐसे में हमारी ज़िम्मेदारी है कि उसी परिवेश में सुविधाएँ प्रदान कर हम उन्हें स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाए।