विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। मादीपुर गांव निवासी पुरुषोत्तम शर्मा ने मादीपुर रिहायशी क्षेत्र में खुले बिना ट्रेड लाइसेंस के जूते-चप्पल कारखानों को निगम के लाइसेंसिंग विभाग द्वारा नोटिस दिए जाने की कार्रवाई का स्वागत करते हुए कहा कि आज इन फैक्ट्रियों के कारण गांव में जीना दूभर हो गया है। चारों तरफ रेक्सिन, गत्ते और अन्य ज्वलनशील केमिकल्स का कचरा बिखरा पड़ा है, जिससे प्रदूषण गंभीर रूप ले रहा है। सीवरेज व्यवस्था पूरी तरह ठप पड़ चुकी है क्योंकि बिना सत्यापन के रह रहे कारीगरों की अधिक संख्या के कारण सीवर ओवरफ्लो हो गए हैं। जगह-जगह गंदगी और जलभराव से लोगों का चलना मुश्किल हो गया है।
मादीपुर गांव निवासी पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि मादीपुर गांव की संकरी गलियों में बेतरतीब तरीके से खड़े कमर्शियल थ्री-व्हीलर्स और अन्य वाहनों के कारण जाम की समस्या आम हो गई है। इससे न केवल आम नागरिकों को परेशानी हो रही है बल्कि एम्बुलेंस और अन्य आपातकालीन सेवाओं को भी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। मादीपुर में अवैध फैक्ट्रियों में काम करने वाले ठेकेदारों और उनके कर्मचारियों का कोई पुलिस सत्यापन नहीं हुआ है, जिससे आपराधिक वारदातें बढ़ती जा रही हैं। चोरी, झपटमारी और अन्य अपराधों की घटनाओं में इजाफा हुआ है, जिससे गांव की महिलाएं और बच्चियां असुरक्षित महसूस कर रही हैं। शाम ढलते ही डर का माहौल बन जाता है, और कई लोग अंधेरे में अकेले निकलने से कतराते हैं।स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि इन अवैध फैक्ट्रियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और प्रदूषण विभाग भी इसमें हस्तक्षेप करे ताकि गांव का वातावरण सुधर सके। इसके अलावा, गांव में रहने वाले बाहरी मजदूरों और कारीगरों का उचित सत्यापन किया जाए ताकि बढ़ते अपराधों पर रोक लगाई जा सके। पानी और सीवरेज की व्यवस्था में सुधार किया जाए, और यातायात की समस्या को हल करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं। यदि प्रशासन ने जल्द कदम नहीं उठाए, तो मादीपुर गांव की स्थिति और भी भयावह हो सकती है। स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि उनकी आवाज सुनी जाएगी और उनके लिए एक सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित किया जाएगा।