सिंघम के नाम से पहचाने जाने वाले एनकाउंटर स्पेसलिस्ट आईपीएस दिनेश एमएन कौन है
आईपीएस दिनेश एमएन का इतिहास क्या है
दिनेश एमएन साल 1995 बैच के राजस्थान कैडर के एक आईपीएस अधिकारी जिन्हें लोग प्रसिद्ध मुठभेड़ विशेषज्ञ या एनकाउंटर स्पेशलिस्ट और सिंघम के नाम से पहचानते है।
राजस्थान में एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स का गठन करके इस फोर्स की कमान निर्भीक छवि रखने वाले एडीजी क्राइम दिनेश एमएन को सौंपी गई। अपराध शाखा के अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस दिनेश एमएन की राजस्थान के क्राइम पर अच्छी पकड़ है। इससे पहले एसीबी में कार्यरत थे। इनके नेतृत्व में कई बड़े अधिकारियों जैसे आईएएस आईपीएस, आरएएस और आरपीएस अफसर जैसे लोगो को रिश्वतखोरी के इल्जाम में जेल पहुंचाया। जब ये फ़ील्ड पोस्टिंग में थे तब भी कई कुख्यात गैंगस्टर को सलाखों के पीछे पहुंचाया।
आईपीएस दिनेश एमएन का जीवन परिचय
दिनेश एमएन का जन्म 6 सितम्बर 1971 को कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर जिले की चिंतामणी तहसील के गांव मुनागनाहल्ली में हुआ। इनकी ऊँचाई 5 फिट 8 इंच है । इनके पिताजी का नाम नारायण स्वामी है जो 2005 में बैंगलोर से तहसीलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए। इनकी माताजी का नाम गोरी अम्मा है। इनकी शादी के. विजयलक्ष्मी के साथ 25 फ़रवरी 1999 में हुई थी । इनकी दो बेटियां है। उनकी पत्नी ने एमए के बाद पीएचडी की डिग्री हासिल की है और वह जयपुर के एक कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।
सरनेम में छिपा है गाँव और पिता का नाम
दिनेश एमएन के सरनेम में गांव और पिता का नाम छिपा हुआ है। एम का मतलब उनका गांव मुनागनाहल्ली और एन का मतलब पिता का नाम नारायण स्वामी है।
आईपीएस दिनेश एमएन की शिक्षा
दिनेश एमएन बचपन से ही पढ़ाई के प्रति काफी सजग रहते थे और एक बेहतरीन जज्बात और उम्मीद के साथ इन्होंने पढ़ाई का सिलसिला शुरू किया था। अपने स्कूल जीवन में पढ़ाई के प्रति काफी दिलचस्पी रखते थे और अपने क्लास में भी टॉप रैंक पर आया करते थे।
दिनेश एमएन ने साल 1993 कर्नाटक राज्य के दावणगेरे जिले में स्थित बी.डी.टी. इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने देश की सबसे प्रतिष्ठित प्रतियोगिता सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की और साल 1995 में राजस्थान कैडर के एक आईपीएस अधिकारी बने।
तहसीलदार से यूपीएससी पास कर आईपीएस बनने का सफर
दिनेश एमएन के पिताजी ने खुद कर्नाटक पब्लिक सर्विस कमीशन की सात बार परीक्षा दी थी और इंटरव्यू तक भी पहुंचे थे क्योंकि उनके एग्जाम में नंबर भी काफी अच्छे आए थे लेकिन उनका सेलेक्शन नहीं हुआ था। उनके पिता जी का सपना था कि वह खुद तो अफसर नहीं बन सके लेकिन वह अपने बेटे को आईपीएस बनाना चाहते थे। 1993 में जब दिनेश एमएन इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर में पढ़ रहे थे तब इनके पिताजी ने कहा कि मेरे कहने पर आप यूपीएससी की परीक्षा दीजियेगा,अगर सिलेक्शन हो गया तो ठीक है, नहीं तो आप जो आपकी मर्जी करना। इन्होंने उसी दिन से कड़ी मेहनत और लगन से पहले ही प्रयास में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की और 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी बन गये।
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में जेल में कैसे बीते दिन ?
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में अपने साल 2005 में 15 पुलिसकर्मियों के साथ आईपीएस दिनेश एमएन सात साल जेल में बिताये। मदन मोहन भास्कर को एक मुलाकात में दिनेश एमएन ने बताया कि जेल में रहने के दौरान उनकी मुलाकात कई कुख्यात अपराधियों से हुई, जिनमें अबू सलेम और अरुण गवली जैसे अपराधी भी शामिल थे। दिनेश एमएन ने बताया कि जेल में 13 से 14 लोग थे और आपस में बातचीत करने में समय निकल जाता था। जेल में रहकर खुद को कैसे संभाले यह उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई से सीखा कि सभी कंपोनेंट को अलग-अलग पार्ट में बांटना जैसे ही आपको भी अपनी परेशानी इसी तरह शेयर करनी चाहिए। सुबह के समय नाश्ते में पोहे मिलते थे और दिन में दाल रोटी। समस्या यह थी कि जेल के अंदर 4 बजकर 30 मिनिट से 5 बजकर 30 मिनिट तक ही खाना मिल पाता था और जब तक खाने का समय होता, तब तक पूरा खाना ठंडा हो चुका होता था। खाना गर्म करने के लिए कुछ भी नहीं होता था। हालाँकि उनका खाना उनके बैरक में ही पहुँचा दिया जाता था। जेल में रहते हुए पूरा समय फ्री होता था तो हम वहां एक्सरसाइज और योग करते थे और कुछ देर बैडमिंटन भी खेलते थे। हमने वहां के अधिकारियों से बैडमिंटन की मांग की थी। इन सब से अधिक मेहनत होती तो वहा का खाना भी अच्छा लगता और नींद भी अच्छी आती थी। मेरा ज्यादातर समय किताबें पढ़ने में बीतता था। दिन में करीब 10 घंटे किताबें पढ़ता था।
दिनेश एमएन का आईपीएस कैरियर की शुरुआत
दिनेश एमएन की पहली पोस्टिंग दौसा में एएसपी के रूप में हुई थी। यहाँ पर ये सितंबर 1998 से लेकर मार्च 1999 तक रहे। इसके बाद कुछ समय के लिए जयपुर में एएसपी गांधीनगर के रूप में कार्यभार संभाला। मई 2000 से लेकर अप्रैल 2002 तक करौली में पुलिस अधीक्षक के पद पर रहे। करौली में इन्होंने चंबल के बीहड़ों में डकैती रोधी अभियान चलाया जिसमें इनके नेतृत्व में कई कुख्यात डकैत और गैंग का सफाया किया गया। 2 साल रहने के बाद इनका सवाई माधोपुर ट्रान्सफर हो गया। जहां पर ये सिर्फ 6 महीने भी नहीं रहे। सितम्बर 2002 में एसीबी बीकानेर में पुलिस अधीक्षक लगाया गया। जहाँ मई 2003 तक रहे। 2003 में इन्हें झुंझुनू का पुलिस अधीक्षक बना दिया गया और 1 साल झुंझुनू में अपनी सेवाएं देने के बाद इनका उदयपुर तबादला हो गया और अगस्त 2004 में उदयपुर पुलिस अधीक्षक थे। इसके बाद इनका ट्रांसफर अलवर हो गया था।
उदयपुर के दौरान राजस्थान पुलिस और गुजरात पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन में हिट्रीशीटर सोहराबुद्दीन शेख का एनकाउंटर किया था। जाँच में इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए दिनेश एमएन समेत कई ऑफिसर और पुलिसकर्मी पर केस दर्ज हुआ और 7 साल जेल में रहे। 28 अप्रैल 2014 को जेल से रिहा हुए और बाद में सर्विस के लिए बहाल हुए। जेल से बाहर आने के बाद राजस्थान में इन्हें एंटी करप्शन ब्यूरो में आईजी बनाया गया। एसीबी में आते ही रिश्वतखोरो की नींद हराम कर दी। इन्होंने एंटी करप्शन ब्यूरो के इतिहास में सबसे बड़ी करवाई को अंजाम देते हुए खान विभाग के सचिव और आईएएस ऑफिसर अशोक सिंघवी को 2 करोड़ 50 लाख की रिश्वत के साथ पकड़ा । जुलाई 2016 में इनको एसओजी में आईजी बनाया गया। यहाँ रहकर उन्होंने वो कर दिखाया जो पांच राज्यों की पुलिस भी नहीं कर सकी। जून 2017 में आईपीएस दिनेश एमएन के नेतृत्व में राजस्थान के चूरू जिले के गांव मालासर में गैंगस्टर आनंदपाल सिंह का एनकाउंटर किया गया। कुछ दिनों के लिए बीकानेर आईजी बनाया गया और इसके बाद आईजी इंटेलिजेंस का पदभार संभाला। जनवरी 2019 में आईजी राजस्थान निरोधक ब्यूरो में अपनी सेवाए दी। फरवरी 2020 में इन्हें एडीजी बनाया गया। तब से लेकर फरवरी 2023 तक इसी पद पर रहकर कई भ्रष्ट लोगों के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। 13 फरवरी 2023 को इनका तबादला एडीजी, क्राइम के पद पर कर दिया गया और वर्तमान में राजस्थान में एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स की कमान संभाले हुए हैं।
बड़े अफसरों को भी नहीं बक्शा
अपने तेज तर्रार तेवरों के कारण आईपीएस दिनेश काफी सुर्खियों में रहे। इस दौरान उन्होंने एंटी करप्शन में रहते हुए कई आईएएस, आईपीएस और आईआरएस समेत कई बड़े अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए पकड़ा। इस दौरान उन्होंने खनन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अशोक सिंघवी को ढाई करोड रुपए की रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया। यह मामला राजस्थान की काफी सुर्खियों में रही। इसके अलावा भी दिनेश ने बारां, अलवर कलेक्टर और दौसा के एसपी मनीष अग्रवाल समेत कई अधिकारियों को रिश्वत प्रकरण में दबोचा।
जयपुर-दिल्ली राजमार्ग स्थित शाहपुरा उप-प्रभागीय न्यायाधीश भारत भूषण गोयल को नकद 3 लाख 50 रूपए के साथ पकड़ा। भारत भूषण ने यह राशि आयुर्वेदिक मेडिसिन की फैक्ट्री लगाने के लिए 25 लाख की मांग की थी।आबकारी निरीक्षक पूजा यादव शराब की दुकान आवंटित करने के एवज में 40 हज़ार रूपये के साथ ट्रैप किया। पूजा के घर से पाँच लाख रूपये और शराब की 19 बोतलें भी मिली।
जयपुर नगर निगम के दो अधिकारी और एक दलाल को मालवीय नगर, जयपुर में घर को बनाने की मंजूरी देने के लिए 70 हज़ार रूपये के साथ पकड़ा। हिंगोनिया गोशाला में चारा घोटाले को लेकर 8 अधिकारीयों को सलाखों के पीछे पहुंचाया।
जेडीए के 4 अधिकारीयों को जमीन स्वीकृत करने के मामले में रिश्वतखोरी के इल्जाम में पकड़ा। खान विभाग के सचिव और 1983 बैच के आईएएस ऑफिसर अशोक सिंघवी को 2 करोड़ 50 लाख की रिश्वत के साथ पकड़ा।
राजस्थान के चूरू जिले के गांव मालासर में गैंगस्टर आनंदपाल सिंह का एनकाउंटर किया। दिसम्बर 2020 में बारां कलेक्टर आईएएस इंद्र सिंह राव के पर्सनल सेक्रेट्री को 1 लाख 40 हजार रुपए की रिश्वत के साथ पकड़ा। राजस्थान के दौसा से निकलने वाली दिल्ली- मुंबई एक्सप्रेसवे का निर्माण करने वाली कम्पनी से 10 लाख रूपये की घूस के प्रकरण में आईपीएस मनीष अग्रवाल और दलाल को जेल पहुँचाया और इसके कुछ दिनों बाद इसी कम्पनी से बांदीकुई एसडीएम पिंकी मीणा और दौसा एसडीएम पुष्कर कुमार को भी 5 लाख रूपये की रिश्वत मामले में पकड़ा। दिसम्बर 2020 को सवाई माधोपुर चौकी पर तैनात डीएसपी भैरूंलाल मीणा को 80 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए धर दबोचा। जनवरी 2021 में अलवर ग्रामीण से डीएसपी सपात खान और सिपाही असलम खान को नकद 3 लाख रूपये की घूस लेते पकड़ा। अप्रैल 2022 में अलवर के पूर्व कलेक्टर आईएएस नन्नुमल पहाड़िया, आरएएस अशोक सांखला और दलाल को पांच लाख रूपये की रिश्वत के मामले में गिरफ्तार किया। राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी, कोटा के वीसी रामवतार गुप्ता को 5 लाख रूपये की रिश्वत लेते पकड़ा। इन्होंने प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में सीट बढ़ाने के एवज में घूस मांगी थी।
एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स का गठन
जयपुर में बहुचर्चित सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या हुई थी। इसमें गैंगस्टर रोहित गोदारा ने इस हत्याकांड की जिम्मेदारी ली। राजस्थान में हुए इस हत्याकांड के बाद कानून व्यवस्था को लेकर जमकर सवाल उठे। तत्कालीन पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा ने एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स का गठन किया। इसमें उन्होंने एडीजी क्राइम दिनेश एमएन को चीफ बनाया है। इसके अलावा इस फोर्स में कुल 65 अफसर और कर्मचारियों की नियुक्ति होगी। स्पेशल गैंगस्टर टास्क फोर्स के ढांचे में एक एडीजी, एक आईजी या डीआईजी, एक एसपी, दो एडिशनल एसपी, 4 डिप्टी एसपी, 4 पुलिस इंस्पेक्टर, 12 सब इंस्पेक्टर और असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के साथ 40 हेड कांस्टेबल और ऑफिस कार्य के लिए कंप्यूटर ऑपरेटर भी शामिल किए गये।
बाल की खाल निकालने के लिए मशहूर है एडीजी क्राइम दिनेश एमएन
एडीजी दिनेश एमएन का नाम सुनकर बड़े से बड़े अपराधियों के दिल कांप जाते हैं। एडीजी दिनेश के बारे में कहा जाता है कि वह जब भी कोई मामले की जांच करते हैं तो, उसकी बाल की खाल निकाल देते हैं। यानी उस मामले की तह में जाकर पूरा खुलासा करते हैं। जयपुर में गोगामेड़ी की हत्या के मामले का खुलासा भी एडीजी दिनेश की एंट्री के बाद ही खुला। उनके निर्देशन में पुलिस ने गोगामेडी हत्याकांड के दो शूटर नितिन फौजी और रोहित राठौड़ को चंडीगढ़ से दबोचा था।
गैंगस्टरों पर लगाई लगाम, गैंगस्टर आनंदपाल सिंह का किया था सफाया
आईपीएस दिनेश को सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में 7 साल की जेल की सजा भुगतनी पड़ी थी। इस दौरान वे गुजरात की साबरमती जेल में बंद रहे। लेकिन बाद में इस केस में बरी हो गए और उन्होंने वापस पुलिस सेवा ज्वाइन की। इसके बाद आईपीएस दिनेश ने राजस्थान पुलिस की दो बड़ी एजेंसियां एसओजी और एसीबी में कई बड़े खुलासे किए। आईपीएस दिनेश ने राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह का सफाया किया था। उन्होंने ही आनंदपाल सिंह का एनकाउंटर किया।
लेखक
मदन मोहन भास्कर
हिण्डौन सिटी, करौली राजस्थान