ऑनलाइन धोखाधड़ी या ठगी का होने पर तुरंत हैल्पलाइन नम्बर 1930 या ऑनलाइन पोर्टल cybercrime.gov.in पर करें शिकायत
झज्जर:
ऑनलाइन तकनीक के इस युग में लगभग हर व्यक्ति कंप्यूटर अथवा मोबाइल से जुड़ा हुआ है। तकनीक के माध्यम से साइबर अपराधी भी अपराध करने के नये-2 तरीके अपना रहे हैं। जिसमें एक तरीका फर्जी कस्टमर केयर के माध्यम से लोगों के रूपये ठगना है। साइबर अपराधी फर्जी कस्टमर केयर नंबरों के जरिये आम लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। आम लोग किसी भी कंपनी के कस्टमर केयर का नंबर पाने के लिये गूगल का सहारा लेते हैं। ऐसा करते समय कुछ सावधानियां बरतने की अत्यंत जरूरत है, क्योंकि साइबर अपराधी किसी भी तरह की एक चूक की ताक में रहते हैं। फेसबुक और ट्विटर से लेकर गूगल तक ये अपराधी फेक कस्टमर केयर नम्बर डालकर अपना जाल फैकते हैं। किसी भी व्यक्ति द्वारा की गई जरा सी गलती पर वह साइबर अपराधियों के जाल में फस जाता है। साइबर अपराधी किसी बैंक, कंपनी या संस्था की वेबसाइट से मिलती जुलती वेबसाइट बनाने से लेकर सोशल साइटों व गूगल मैप आदि पर गलत नम्बर डाल देते हैं। जिस कारण लोग असल और फर्जी वेबसाइटों में अंतर नही कर पाते और इन नम्बरों को ही अधिकारिक नम्बर समझ लेते हैं। इस तरह के साइबर अपराधियों के झांसे में आकर लोग धोखाधडी का शिकार हो जाते हैं। साइबर अपराध के प्रति आम लोगों को सतर्क करने के लिए झज्जर पुलिस द्वारा एसपी डॉक्टर अर्पित जैन के दिशा निर्देश अनुसार एडवाइजरी जारी की गई है।
साइबर अपराधी गूगल पेज पर बैंक / एयरलाइन इत्यादि के कस्टमर केयर नंबर को इस प्रकार से संपादित कर देते हैं कि जब भी कोई गूगल पर संबंधित बैंक / एयरलाइन इत्यादि के कस्टमर नंबर को सर्च करें तो साइबर अपराधी द्वारा संपादित नंबर ही ऊपर में दिखें। पीड़ित वास्तविक कस्टमर केयर नंबर के स्थान पर साइबर अपराधी द्वारा संपादित नंबर पर कॉल कर देते हैं। उसके पश्चात् साइबर अपराधी अपने निर्देशानुसार वह उनसे पैसे ठग लेते हैं। जालसाज अपना नंबर बैंक के हेल्पलाइन नंबर के रूप में अंकित करते हैं। लोग संपादित नंबर को वास्तविक कस्टमर केयर नंबर मान उस नंबर पर कॉल करते हैं और उनके निर्देशों का पालन करने के पश्चात् ठगी का शिकार बन जाते हैं। जालसाज गूगल पर मौजूद सजेस्ट एन एडिट (Suggest an edit) विकल्प का लाभ उठाते हैं। फर्जी कस्टमर केयर नम्बरों की पहचान करना व ठगी का शिकार होने से बचने के लिए कुछ जरूरी सावधानियां :–
. गूगल पर कुछ भी सर्च करते समय रिजल्ट में सबसे ऊपर दिख रही वेबसाइट को ही सही ना माना जाए।
2. सर्च में सबसे ऊपर के रिजल्ट के साथ यदि Ad/Sponsored लिखा दिख रहा है तो उस पर क्लिक करने से परहेज करें।
3. यदि कोई सरकारी वेबसाइट है तो उसके अंत में gov.in या nic.in जरूर होगा। ऐसा है तो वेबसाइट ठीक है।
4. कोई भी वेबसाइट खोलें तो यह अवश्य जांच लें कि वह सिक्योर है या नहीं। जिस वेबसाइट की शुरूआत में https है तो वह सुरक्षित है।
5. गूगल मैप के रिजल्ट पर एकदम से कभी भी भरोसा नहीं करें। इसे कोई भी एडिट कर सकता है।
6. ट्विटर और फेसबुक पर ब्लूटिक जरूर चैक करें। अगर ये वैरिफायड है तो सुरक्षित हैं।
7. सोशल मीडिया पर साइबर अपराधी, लोगों की शिकायतों पर नजर रखते हैं। किसी भी व्यक्ति द्वारा शिकायत करते ही इनबॉक्स में कस्टमर केयर बनाकर वे अपना फर्जी नम्बर दे सकते हैं। ध्यान रखें कि कोई भी संस्थान सीधे इनबॉक्स में नहीं आता है।
8. सबसे महत्वपूर्ण है कि किसी तरह के लालच में ना आएं। आज के समय में साइबर अपराधी सस्ता लोन या प्रलोभन इत्यादि किसी भी तरह का ऑफर करने की वेबसाइट बनाकर ठगी कर रहे हैं।
9. प्रत्येक व्यक्ति के लिए अत्यंत जरूरी है कि किसी से भी अपने एटीएम कार्ड का नम्बर, सीवीवी, कार्ड का पिन, नेट बैंकिंग का पासवर्ड अथवा ओटीपी आदि शेयर ना करें।
साइबर क्राइम/धोखाधड़ी होने पर ऐसे करें शिकायतः-
ऑनलाइन धोखाधड़ी या ठगी होने पर सबसे पहले संबंधित बैंक को असली वेबसाइट के माध्यम से या ईमेल के माध्यम से सूचित करें। सभी बैंकों के ऐप में भी शिकायत करने की सुविधा दी जाती है। पेटीएम, फोनपे जैसे ऐप से ठगी होने पर इन कंपनियों को उनकी वेबसाइट या ऐप से बतायें। सरकार ने भी साइबर ठगी को लेकर ऑनलाइन ठगी का शिकार हुए लोगों की सुविधा के लिए एक हैल्पलाइन नम्बर 1930 जारी किया गया है। ठगी का शिकार होने पर इस नम्बर पर तुरंत शिकायत की जा सकती है अथवा cybercrime.gov.in पोर्टल पर भी ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। इसके अलावा नजदीकी साइबर क्राइम थाना या पुलिस थाना में भी पीड़ित व्यक्ति अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। ठगी का शिकार हुए व्यक्तियों के लिए विशेष ध्यान रखने योग्य बात यह कि धोखाधड़ी की घटना के बाद जितने कम समय में शिकायत दर्ज कराई जाएगी, धोखाधड़ी से ठगे गए पैसे वापिस होने के चांसेज उतने ही अधिक होंगे।