3 महिला आईपीएस समेत कई डीसीपी हटाए गए श्वेता चौहान को सामान्य प्रशासन में भेजा

अशोक कुमार निर्भय

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस मुख्यालय ने तीन महिला आईपीएस सहित कई डीसीपी (पुलिस उपायुक्त) स्तर के अधिकारियों को इधर से उधर कर दिया। लंबे समय से मध्य जिला डीसीपी के पद पर तैनात श्वेता चौहान को अब सामान्य प्रशासन में भेज दिया गया है।

जारी तबादला सूची के मुताबिक इधर-उधर की गई तीन महिला आईपीएस में श्वेता चौहान के अलावा उत्तर पश्चिम जिला डीसीपी रहीं ऊषा रंगनानी और दक्षिण पूर्व दिल्ली जिला डीसीपी ईशा पाण्डेय का नाम भी शामिल है। इस बाबत आदेश  उप सचिव (गृह दिल्ली) द्वारा जारी किए गए। 11 अफसरों (डीसीपी) की तबादला सूची में जहां 10 आईपीएस शामिल हैं वहीं एक अकेले दानिप्स अधिकारी विक्रम सिंह पोरवाल का नाम भी है। तबादला सूची में पहला नाम 2010 बैच की आईपीएस श्वेता चौहान का है। श्वेता चौहान को डीसीपी सेंट्रल के पद से हालांकि अब से पहले भी कई बार चर्चाओं का बाजार गरम रहा था। मगर इस बार जारी तबादला सूची में उन्हें डीसीपी सेंट्रल के पद से हटाकर सामान्य प्रशासन में भेज दिया गया है। टीवी9 भारतवर्ष के पास मौजूद तबादला सूची के मुताबिक बात अगर हटाई गई अन्य दो महिला आईपीएस का करें तो दिल्ली के 15 जिलों में डीसीपी के पद पर तैनात महिला आईपीएस अफसरों में से श्वेता चौहान के अलावा दो और महिला आईपीएस भी जिला डीसीपी के पद से हटाई गई हैं। इनमें पहला नाम है उत्तर पश्चिम दिल्ली जिले में लंबे समय से तैनात रहीं 2011 बैच की आईपीएस अधिकारी ऊषा रंगरानी। इन्हें अब उत्तर पश्चिम जिला डीसीपी पद से हटाकर विशेष प्रकोष्ठ (स्पेशल ब्रांच) में भेजा गया है। उत्तर पश्चिम दिल्ली जिला में तैनात डीसीपी के लिए हमेशा सिरदर्द बना रहने वाला थाना जहांगीपुरी इन्हें भी परेशान करने वाला साबित हुआ। जब बीते साल थाना जहांगीरपुर में दो गुटों के आमने-सामने आ जाने से दंगे भड़क गए थे। उस बवाल को जिस तरह से ऊषा रंगनानी ने खुद सड़क पर उतर कर चंद घंटों में काबू किया उसकी तारीफ न केवल दिल्ली पुलिस मुख्यालय ने अपितु हिंदुस्तानी हुकूमत ने भी की थी। क्योंकि जहांगीरपुरी में भड़के सांप्रदायिक बवाल की चिंगारी देखते-देखते कोई भी भयानक रूप लेने के कगार पर जा खड़ी हुई थी। हालांकि मध्य दिल्ली जिला डीसीपी के पद से हटाकर सामान्य प्रशासन में भेजी गई श्वेता चौहान की बात करें तो उनके पूरे कार्यकाल में मध्य जिले में कोई ऐसी घटना घटी ही नहीं कि पुलिस को कुछ विशेष मेहनत-मशक्कत करनी पड़ी हो। यह जिला खुद-ब-खुद ही शांत रहा। जबकि कई आरोप लगते रहे की किसी भी घटना व शिकायत पर अपने चेहते एस एच ओ के माध्यम से मामले को दवाब बनाकर शांत कर देती थी। मीडिया को भी सेट रखती थी। फ़िरोज़शाह कोटला मैच का मामला भी उन्होंने अपने रसूख से सेट कर लिया था। उनके कमाऊ और चाहते थाने नबी करीम,चांदनी महल,हौजकाजी रहे हैं। जहाँ से कोई घटना की खबर मीडिया में लीक तक नहीं हो सकती थी। खैर सरकार को लगा की उनकी छवि खराब हो रही है लिहाजा इनका नाम भी तबादला लिस्ट में आ गया। कमोबेश यही हाल दक्षिण पूर्व दिल्ली जिले के डीसीपी पद से हटाई गईं 2010 बैच की आईपीएस अधिकारी ईशा पाण्डेय के कार्यकाल का रहा। उनके जिला डीसीपी बने रहने के दौरान भी जिले में कहीं कोई बवाल नहीं हुआ। लिहाजा खुद-ब-खुद जिले में बनी रही शांति के चलते उनका जिला भी सुर्खियों में आने से बचा रहा। ईशा पाण्डेय को अब जिला डीसीपी पद से हटाकर डीसीपी ट्रैफिक बनाया गया है।

सौ . रिलेशन ऑफ़ इंडिया न्यूज़ 

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