प्राइवेट स्कूलों के लिए गुड न्यूज है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की अपील को खारिज करते हुए राजधानी के सैकड़ों निजी स्कूलों में बिना शुल्क दिए संसाधनों के विस्तार का रास्ता साफ कर दिया है।
इस फैसले से आने वाले समय में निजी स्कूलों में दाखिले को लेकर होने वाली मारामारी कम होगी, क्योंकि लगभग डेढ़ लाख तक अधिक दाखिले हो पाएंगे।
जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और अरविंद कुमार की बेंच ने दिल्ली हाईकोर्ट के 2021 के फैसले को चुनौती देने वाली डीडीए की विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि यदि निजी स्कूल द्वारा संसाधनों के विस्तार (अतिरिक्त बिल्डिंग बनाने या मंजिलों की संख्या बढ़ाने) के लिए अतिरिक्त एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) का इस्तेमाल किया जाता है तो डीडीए किसी तरह का शुल्क लेने का हकदार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सभी तथ्यों और पक्षकारों को सुनने के बाद हम हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने के इच्छुक नहीं हैं। बेंच ने यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ डीडीए की अपील खारिज कर दी।
निजी स्कूलों के संघ एक्शन कमेटी की ओर से वकील कमल गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से निजी स्कूलों में हर साल दाखिले में होने वाली मारामारी खत्म होगी। दरअसल, पिछले कई दशकों से दिल्ली की जनसंख्या में कई गुना बढ़ोतरी और स्कूलों की कमी के चलते हर साल दाखिले में मारामारी होने लगी। तब शहर के योजनाकारों ने बच्चों को आसानी से दाखिला मिले, इसके लिए अधिक स्कूलों की आवश्यकता को पहचाना और इस कमी को दूर करने के लिए मौजूदा स्कूलों की क्षमता में वृद्धि/अपग्रेड करने का सुझाव सरकार को दिया।
योजनाकरों का मानना था कि दल्लिी में जमीन सीमित है, इसलिए उन्होंने स्कूलों की कमी को पूरा करने के लिए मौजूदा स्कूलों को ही अपग्रेड करने का सुझाव दिया। इसके बाद मौजूदा शैक्षणिक संस्थानों/स्कूलों को फ्लोर एरिया अनुपात (एफएआर) में वृद्धि करके बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए 7 फरवरी, 2007 में मास्टर प्लान 2021 में अतिरक्ति एफएआर का प्रावधान किया गया।
मास्टर प्लान 2021 के प्रावधान के तहत स्कूलों द्वारा अतिरिक्त एफएआर का इस्तेमाल करने के लिए डीडीए ने 29 अगस्त, 2008 को स्कूलों से आवंटन के समय जमीन की कीमत का 10 फीसदी रकम जमा करने का आदेश दिया। डीडीए के आदेश के खिलाफ निजी स्कूलों के संघ एक्शन कमेटी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इसे रद्द करने की मांग की। स्कूलों ने हाईकोर्ट में कहा कि डीडीए को अतिरिक्त एफएआर के बदले पैसे मांगने का कोई अधिकार नहीं है। स्कूलों की ओर से वकील कमल गुप्ता ने हाईकोर्ट को बताया था कि डीडीए ने प्रीमियम दरों पर जमीन आवंटित की थी और इसका शुल्क जमीन किस जगह पर स्थित है, इसके हिसाब से लिया था। इस मामले में हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच ने 2020 में निजी स्कूलों के पक्ष में फैसला दिया था।