द्वारका सेक्टर-19 में बनेगा विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस शानदार सरकारी स्कूल, सीएम आतिशी ने किया शिलान्यास

दिल्ली सरकार मटियाला विधानसभा के द्वारका सेक्टर-19 में विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस शानदार स्कूल बनाएगी। शुक्रवार को सीएम आतिशी ने इसका शिलान्यास किया। उल्लेखनीय है कि, ये स्कूल 104 कमरें, 6 अत्याधुनिक लैब, लाइब्रेरी, लिफ्ट, शानदार एम्फीथिएटर,बास्केट बॉल कोर्ट, बैडमिंटन कोर्ट से लैस होगा। स्कूल सालभर में बनकर तैयार हो जाएगा और अंबरहई, कुतुब विहार, सरिता विहार, पोचमपुर, भगत सिंह एनक्लेव सहित आसपास के हजारों बच्चों के लिए वर्ल्ड क्लास एजुकेशन हब बनेगा। इस अवसर पर स्थानीय विधायक गुलाब सिंह ‘मटियाला’ व अधिकारियों के अलावा बड़ी संख्या में क्षेत्र के लोग मौजूद रहे।

इस मौके पर सीएम आतिशी ने कहा कि, दिल्लीवालों ने अगर केजरीवाल को वोट नहीं दिया तो आगे से उनके बच्चों की शिक्षा पर कोई काम नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि, दिल्ली के बच्चों का भविष्य अब दिल्लीवालों के हाथ में है; उन्हें शिक्षा पर काम करने वालों को चुनना है या जात-पात की राजनीति करने वालों को चुनना है। 

*मटियाला विधानसभा के द्वारका सेक्टर-19 में नए स्कूल का शिलान्यास करने पहुंची सीएम आतिशी

कार्यक्रम में सीएम आतिशी का तिलक लगाकर स्वागत किया गया। सीएम ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की और नारियल फोडकर नए स्कूल की नींव रखी। इस दौरान उन्होंने नाम गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल के नाम पट्टिका का अनावरण किया। सीएम ने नई बिल्डिंग के मॉडल को भी देखा और अफसरों से बच्चों को उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं के बारे में जाना।  

*दिल्ली के बड़े प्राइवेट स्कूलों को पीछे छोड़ेगा द्वारका सेक्टर-19 का स्कूल

सीएम आतिशी ने कहा कि, आज हम जिस स्कूल का शिलान्यास कर रहे है, ये दिल्ली और द्वारका के सबसे बड़े प्राइवेट स्कूलों को भी पीछे छोड़ देगा। इस बिल्डिंग में 104 कमरे, 6 अत्याधुनिक लैब्स, लाइब्रेरी, एक्टिविटी रूम, 2 लिफ्ट के साथ-साथ एक 750 लोगों की क्षमता वाला एम्फीथिएटर भी होगा। जो शायद दिल्ली के बड़े प्राइवेट स्कूलों में भी नहीं होता है। स्कूल के अंदर स्पोर्ट्स की शानदार फ़ैसिलिटीज़ होगी। इसमें प्ले ग्राउंड, बास्केट बॉल कोर्ट, बैडमिंटन कोर्ट होगा। 

उन्होंने कहा कि, इस स्कूल के बनने से अंबरहई गाँव, कुतुब विहार, सरिता विहार, पोचमपुर गाँव, भगत सिंह एनक्लेव और आसपास के कई इलाकों के 2500 बच्चों को शानदार शिक्षा मिलेगी। 

*2015 तक दिल्ली में सरकारी स्कूल बदहाल थे; स्कूलों में शिक्षक नहीं होते थे, बच्चे टाटपट्टी पर बैठकर पढ़ने को मजबूर थे

सीएम आतिशी ने कहा कि, 2015 तक दिल्ली में सरकारी स्कूल बदहाल होते थे। ये सरकारी स्कूल टीन-टप्पर में चलते थे। स्कूल के अंदर घुसते ही सबसे पहले टॉयलेट की बदबू आती थी। और क्लासरूम की कमी के कारण बच्चे टॉयलेट के बाहर टाट-पट्टी पर बैठकर पढ़ने को मजबूर थे। 

उन्होंने कहा कि, सरकारी स्कूलों के क्लासरूम में टेबल-कुर्सियाँ नहीं होती थी, लाइटें-खिड़कियां टूटी होती थी। पीने का पानी नहीं होता था। क्लासरूम में टीचर्स नहीं होते थे क्योंकि उनकी पल्स पोलियो से लेकर आधार कार्ड तक में सरकारी ड्यूटी लगाई जाती थी। कोई भी अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में नहीं भेजना चाहता था। जिसके पास भी थोड़े पैसे आ जाते थे वो परिवार पेट काट-काटकर अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में भेजता था। अगर किसी परिवार के पास सिर्फ़ एक बच्चे को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के पैसे होते थे तो वो अपने बेटे को प्राइवेट स्कूल में और बेटी को टूटे-फूटे सरकारी स्कूल में भेजते थे। 

सीएम आतिशी ने कहा कि, आंकड़े बताते है कि हमारे देश में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 50% बच्चे ही पढ़ाई पूरी कर पाते है। और यदि पढ़ाई पूरी कर ले तो उन्हें छोटी मोटी नौकरी करनी पड़ती। कोई मैकेनिक का काम करता तो कोई किराना की दुकान में किसी के घर में काम करना पड़ता। उन्होंने कोई भी काम छोटा नहीं होता लेकिन वो काम करना किसी की मजबूरी नहीं होनी चाहिए। हर बच्चे को आगे बढ़ने का मौक़ा मिलना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि, हमारे देश में कहा जाता है कि, बच्चों का भविष्य उनकी हाथ की लकीरों में लिखा होता है। ये सच भी है कि, हमारे देश में बच्चे का भविष्य तीन साल की उम्र में तय हो जाता है। अगर कोई ऐसे घर से होता था जहां पैरेंट्स महँगे प्राइवेट स्कूल की फ़ीस दे सकते तो वो अच्छे स्कूल में जाता था, अच्छे कॉलेज में जाता था और अच्छी नौकरी पाता था। लेकिन दूसरी ओर जो बच्चा गरीब परिवार से आता था वो पढ़ाई के लिए टूटे-फूटे टीन-टप्पर के सरकारी स्कूल में जाता था। और उसका भविष्य तय था कि वो मैकेनिक बनेगा, किसी के दुकान में काम करेगा। 

इसका नतीजा था कि कोई बच्चा अगर अमीर परिवार में पैदा होता तो अमीर बनता और ग़रीब परिवार में पैदा होने वाला बच्चा ग़रीब ही रहता। ये सरकारी स्कूलों ने उनके भाग्य में लिख दिया था। 

*अरविंद केजरीवाल जी की शिक्षा क्रांति ने अमीर हो या ग़रीब हर परिवार के बच्चे को आगे बढ़ने का मौक़ा दिया*

सीएम आतिशी ने कहा कि, 2015 में दिल्ली में एक चमत्कार हुआ और दिल्ली के लोगों ने अरविंद केजरीवाल जी को अपना मुख्यमंत्री बना दिया। और अरविंद केजरीवाल जी ने कहा कि, चाहे कोई बच्चा ग़रीब परिवार में पैदा हो या अमीर परिवार में पैदा हो; दिल्ली के हर बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिलेगी, आगे बढ़ने के अवसर मिलेंगे।

उन्होंने कहा कि, अरविंद केजरीवाल जी ने ये सिर्फ़ कहा नहीं बल्कि एक के बाद एक इस सपने को पूरा करने के लिए कदम भी बढ़ाये। 2015 में दिल्ली देश का पहला ऐसा राज्य बना जिसने शिक्षा के अपने बजट को दोगुना किया और अपने सरकार के कुल बजट का लगभग एक चौथाई हिस्सा शिक्षा पर लगाया। और पिछले 10 साल से लगातार दिल्ली की सरकार अरविंद केजरीवाल जी के मार्गदर्शन में अपने बजट का सबसे बड़ा हिस्सा शिक्षा पर, दिल्ली के बच्चों के भविष्य पर लगा रही है। 

सीएम आतिशी ने कहा कि, इससे दिल्ली में बड़ी संख्या में स्कूलों में बिल्डिंग बनने शुरू हुए, क्लासरूम्स बने। आजादी के बाद से 2015 तक की सरकारों ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में मात्र 24,000 कमरें बनवाये थे और 2015 से अबतक मात्र 10 सालों के दिल्ली सरकार ने स्कूलों में 22,000 से ज़्यादा नए कमरें और शानदार कमरें बनवाए। आज दिल्ली के सरकारी स्कूलों की बिल्डिंग बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूलो को पीछे छोड़ देती है। 

सीएम आतिशी ने कहा कि, “अगर दिल्लीवालों ने शिक्षा पर काम करने वालों को वोट नहीं दिया तो आगे से कोई भी हमारे बच्चों के भविष्य के लिए काम नहीं करेगा। इसलिए दिल्ली के बच्चों का भविष्य दिल्लीवालों के हाथ में है। और मैं उम्मीद करती हूँ कि दिल्लीवाले सोच समझ कर अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए वोट करेंगे।”

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