दिल्ली हाईकोर्ट ने बाटला हाउस एनकाउंट केस में दोषी आरिज खान की सजा को बरकरार रखा है. हालांकि, कोर्ट ने मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है. इसी मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे.
दरअसल, दिल्ली में 2008 में सिलसिलेवार बम विस्फोट के कुछ दिन बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की बाटला हाउस में आतंकियों से मुठभेड़ हुई थी और इसमें इंस्पेक्टर शर्मा 19 सितंबर 2008 को मारे गए थे. सिलसिलेवार बिस्फोट में दिल्ली के 39 लोग मारे गए थे, जबकि 159 घायल हुए थे. शर्मा ने विस्फोटों के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों की तलाश में उस स्थान पर छापा मारा था.
इस दौरान आतंकियों ने पुलिस पर फायरिंग कर दी थी. बाटला हाउस एनकाउंटर मामले में इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की जान चली गई थी, जबकि पुलिसकर्मी बलवंत सिंह-राजवीर को भी जान से मारने की कोशिश की गई थी. पुलिस की जवाबी कार्रवाई में आतिफ आमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए थे. जबकि आरोपी शहजाद अहमद को गिरफ्तार किया गया था. आरोपी शहजाद अहमद को 2013 में सजा हुई थी. वहीं, मुठभेड़ के दौरान आरिज भाग गया था, साल 2018 में उसे नेपाल से गिरफ्तार किया गया था.
निचली अदालत ने 15 मार्च 2021 को आरिज खान को मृत्युदंड तजवीज करते हुए उस पर 11 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया था. फैसले के बाद निचली अदालत ने हाई कोर्ट को मौत की सजा की पुष्टि के लिए भेज दिया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर लंबी सुनवाई और सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद बीते 18 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित किया था.
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अमित शर्मा की बेंच ने आरिज खान की सजा को बरकरार रखा है. हालांकि, मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है.
इससे पहले दिल्ली पुलिस ने अदालत के समक्ष खान की सामाजिक व्यवहार जांच रिपोर्ट और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि जेल में उसका आचरण असंतोषजनक है. निचली अदालत ने आठ मार्च 2021 को आरिज खान को दोषी ठहराते हुए कहा था कि यह साबित हुआ है कि आरिज और उसके सहयोगियों ने पुलिस अधिकारी की हत्या की और उन पर गोलियां चलाईं थी.