अपराध संवाददाता विक्रम गोस्वामी
नई दिल्ली – राजधानी दिल्ली का ऐतिहासिक क्षेत्र पहाड़गंज इन दिनों अवैध गतिविधियों और अनियंत्रित निर्माण कार्यों के गढ़ के रूप में एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां घरों की आड़ में चल रहे अवैध होटल, बार, स्पा और एयर बी एंड बी के नाम पर निर्मित अवैध इमारतें न सिर्फ कानूनी दायरे का उल्लंघन कर रही हैं, बल्कि क्षेत्र की छवि को भी धूमिल कर रही हैं। यह स्थिति कई गंभीर सवाल खड़े करती है, विशेषकर जब पिछले 17 वर्षों से पहाड़गंज में भाजपा के पार्षद काबिज हैं। ये हम नहीं कह रहे ,ये कहना है पहाड़ गंज के स्थानीय निवासियों का। जिनमें से ज्यादातर लोगों ने परेशान होकर पहाड़ गंज से पलायन करना शुरू कर दिया है।
यह समझना मुश्किल है कि दिल्ली में सीमित पर्यटन के बावजूद इतने बड़े पैमाने पर अवैध होटल और एयर बी एंड बी कैसे फल-फूल रहे हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि इन अवैध इमारतों में दिल्ली सरकार की एयर बी एंड बी पॉलिसी की आड़ में कुछ और ही चल रहा है, जो क्षेत्र को बदनामी की ओर धकेल रहा है। आज पहाड़गंज को एक बदनाम इलाके के रूप में जाना जाता है, और इस पतन के लिए जिम्मेदार कौन है, यह एक बड़ा प्रश्न है।
वही स्थानीय लोगों का कहना है आखिर क्यों चुप्पी साधे बैठे है पार्षद ? आखिर कैसे इतने बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण संभव है? क्या एमसीडी का भवन विभाग, जो इन गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए जिम्मेदार है, पार्षदों के सामने मनमानी कर सकता है? इन सवालों के जवाब तलाशने होंगे, क्योंकि स्थानीय निवासियों का पहाड़गंज से पलायन तेजी से बढ़ रहा है। जब स्थानीय नागरिक ही नहीं रहेंगे, तो ये नेता किससे वोट मांगेंगे? क्या यही जनतंत्र है।
यह आवश्यक है कि दिल्ली सरकार और विशेष रूप से रेखा गुप्ता सरकार इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान दे और पहाड़गंज में चल रही इन अवैध गतिविधियों के खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई करे। यह मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संज्ञान में भी आना चाहिए, जो “न खाऊंगा न खाने दूंगा” की बात करते हैं। यह विडंबना ही है कि उनकी ही पार्टी के पार्षद अपने ही कार्य क्षेत्र को बर्बाद होते कैसे देख सकते हैं। क्या प्रधानमंत्री मोदी कोई कड़ी कार्रवाई करेंगे, जो उनके स्वच्छ शासन के दावे पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं?
बिल्डर लॉबी पर शिकंजा: तीस हजारी कोर्ट ने पहाड़गंज में अवैध निर्माण पर लगाई रोक
इसी बीच, बिल्डर लॉबी पर शिकंजा कसते हुए दिल्ली के पहाड़गंज से एक बड़ी खबर सामने आई है। तीस हजारी डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में 4196, गली भगवती, तेल मंडी, पहाड़गंज, नई दिल्ली में चल रहे निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। डिंपल अरोड़ा बनाम मुकेश कुमार एवं अन्य के मामले में कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस संपत्ति पर किसी भी प्रकार का कोई कार्य नहीं किया जा सकता, और निर्माण पर स्टे लगा दिया गया है। यदि यहां किसी भी तरह का काम होता है, तो उसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।
मामले की सुनवाई के दौरान, प्रतिवादी नंबर एक मुकेश कुमार और प्रतिवादी नंबर दो धर्मवीर भास्कर के बयान दर्ज किए गए। भास्कर ने अपने बयान में बताया कि 4196, तेल मंडी, पहाड़गंज का निर्माण कार्य बिल्डर कपूर ने किया है, और इसमें उनकी किसी भी प्रकार की हिस्सेदारी नहीं है। दोनों प्रतिवादियों, मुकेश और धर्मवीर भास्कर ने स्वयं अपने बयान में यह कबूल किया कि आगे कोई निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा, निर्माण बिना सैंक्शन के अधूरा है, और एमसीडी ने अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है।
फिलहाल, इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख तय की गई है। शिकायतकर्ता के अनुसार, एमसीडी को भी कोर्ट द्वारा तलब किए जाने की बात सामने आई है, ताकि उनकी निष्क्रियता पर सवाल उठाए जा सकें।
यह मामला बिल्डर कपूर के एक और कारनामे को सबके सामने लाता है, जिसकी शायद ही कोई इमारत हो जिस पर कोई कानूनी कार्रवाई न हुई हो। यह घटना दिल्ली में अवैध निर्माण के बड़े नेटवर्क और उसे कथित रूप से मिल रहे संरक्षण पर प्रकाश डालती है। तीस हजारी कोर्ट का यह फैसला अवैध निर्माण के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है और उम्मीद है कि यह पहाड़गंज जैसे क्षेत्रों में कानून का राज स्थापित करने में मदद करेगा। स्थानीय प्रशासन और सरकार को इस फैसले को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए ताकि पहाड़गंज की खोई हुई गरिमा और सुरक्षा वापस लाई जा सके।