भारत के जन-जन और कण-कण में व्याप्त है संगीत
संगीत ईश्वर की साधना है। यह न केवल आपको आत्म शांति प्रदान करता है बल्कि आपकी एकाग्रता को बढ़ाने में भी सहायक होता है। जी हां, यह कहना है मशहूर सितार वादिका डॉ सुमिता चक्रवर्ती का। डॉ सुमिता चक्रवर्ती संगीत को ईश्वर की साधना मानती हैं। संगीत के माध्यम से बहुत कुछ प्राप्त किया जा सकता है। अच्छा स्वास्थ्य, अच्छी पढ़ाई, मानसिक एकाग्रता में संगीत अपनी अहम भूमिका निभा सकता है। भारत के जन-जन और कण-कण में संगीत व्याप्त है। लोक-संगीत से लेकर वैदिक संगीत तक की परंपराओं में जितना विकास, परिवर्तन भारत में प्राप्त होता है उतना अन्य देखने में नही आता। हम सबके लिए यह गौरव की बात है। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – इन चारों के साथ भी हमारा संगीत संबद्ध है।
संगीत के रचयिताओं और कलाकारों को अधिकार है कि वे नाद के सौंदर्य की रक्षा करते हुए लोख को विभोर कर देने वाले संगीत को प्रस्तुत करें। ऐसे संगीत का सृजन हो, जो मनुष्य की पाराविक वृत्तियों का संहार करके उन्हें ‘सत्यं, शिवं और सुंदरम् की ओर ले जाए।
देश और दुनिया में ख्याति प्राप्त कर चुकी डॉ सुमिता चक्रवर्ती आकाशवाणी और दूरदर्शन से वर्ष 2001 से मान्यता प्राप्त कलाकार हैं।
इलाहाबाद में जन्मीं सुमिता की प्रारंभिक संगीत शिक्षा उनकी माताजी से मिली। उनकी माताजी शक्ति मुखर्जी को शास्त्रीय संगीत में महारत प्राप्त थी।
पद्म भूषण पंडित देबू चौधरी और पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित पंडित हरिप्रसाद चौरसिया की शिष्या डॉ सुमिता चक्रवर्ती दिल्ली विश्वविद्यालय के संगीत विभाग से शिक्षा प्राप्त की। डॉ चक्रवर्ती एमए, एमफिल, पीएचडी करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के ही दौलत राम कॉलेज में कार्यरत हैं।
डॉ सुमिता चक्रवर्ती जब मंच पर अपने सितार पर उंगलियों से संगीत की धुनें छेड़तीं हैं तो वहां बैठा हर दर्शक और श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाता है। कहते हैंकि संगीत आत्मा और परमात्मा का मिलन कराता है। संगीत की कोई सीमा नहीं होती। ऐसा ही संगीत जब सितार से निकलता है तो सितार वादिका डॉ सुमिता चक्रवर्ती भी स्वयं भी संगीत में डूब जाती हैं और बैठे हुए दर्शक भी उस संगीत के आगोश में चले जाते हैं।
शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम में डॉ सुमिता चक्रवर्ती की प्रस्तुति से सभी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। इनके द्वारा प्रस्तुत आध्यात्म की और ले जाने वाली संगीत की धारा में शांति का माहौल बन जाता है।
डॉ चक्रवर्ती ने अभी तक संगीत और सितार में पाई महारत की बदौलत काफी संख्या में पुस्तकें भी लिख डाली हैं। जो आने वाली पीढ़ी को संगीत से न केवल रूबरू करा रही हैं बल्कि उनका सही मार्गदर्शन भी कर रही हैं। इसमें संगीत में “गायन एवं वादन का अंतर्निहित संबंध”, “मेलोडी म्यूजिक एंड इंस्ट्रूमेंट्स इन इंडियन म्यूजिक”, “इंस्ट्रूमेंट इन हिंदुस्तानी क्लासिकल म्यूजिक: रोल एंड परफॉर्मेंस” और “लोक संगीत में प्रयुक्त वाद्य यंत्र” जैसी पुस्तकें प्रमुख हैं।