वर्ष में 24 ऐकादशी आती हैं जिन में ज्येष्ठ मास की शुक्ल ऐकादशी, जिसे निर्जला ऐकादशी के नाम से भी जाना जाता है, सब से अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। निर्जला ऐकादशी का व्रत रखने से सभी 24 ऐकादशी के व्रत का फल प्राप्त होता है, सब पाप कट जाते हैं और मृत्यु के पश्चात जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति प्राप्त होती है।
नन्द किशोर सेठी,मीडिया प्रमुख,झण्डेवाला देवी मंदिर ने बताया की एकादशी भगवान विषणु का दिन है। इसे भीम ऐकादशी भी कहा जाता है।
झण्डेवाला देवी मंदिर में आज निर्जला एकादशी पर प्रातःकाल से ही भक्तों की भीड़ रही। मंदिर की ओर इस उपलक्ष्य में तीन स्थानों पर ठंडे मीठे जल की छबील लगाई गयी जिस में डिस्पोजेबल गिलास में शर्बत दिया जा रहा है। छबील डी बी गुप्ता रोड, रानी झांसी रोड और मंदिर मे 2 नम्बर द्वार के पास छहील लगाई गयी हैं। भक्तों को आलू का प्रसाद भी दिया जा रहा है। यह कार्यक्रम प्रातःकाल से ही आरम्भ हुआ और संध्या तक चलेगा।