डॉ भीमराव अंबेडकर की आज 14 अप्रैल को 133 वीं जयंती है. ये जयंती देश में हर साल मनाई जाती है. बाबा साहब एक कुशल राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक के नाम से विश्व विख्यात थे.उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के दलित और पिछड़ों के लिए समर्पित कर दिया था. केंद्र सरकार ने अंबेडकर जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर दिया है.
अंबेजकर जयंती पर पीएम मोदी, सीएम योगी, बीएसपी चीफ मायावती ने उनको नमन किया है…पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा-समाज के वंचित और शोषित वर्ग के सशक्तिकरण के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले पूज्य बाबासाहेब को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। जय भीम!
डॉ अम्बेडकर का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। उन्होंने अपने जीवन में जातिवाद, असमानता और भेदभाव का बचपन से ही सामना करा। लंदन से शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत उन्होंने अपना जीवन सामाजिक कार्यों में लगा दिया।
भीमराव अम्बेडकर ने मुंबई के एलफिंसटन कालेज से शिक्षा प्राप्त करी। एक मात्र अछूत छात्र होने से उन्हें तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ा। वर्ष 1912 में बॉम्बे विश्विधयालय से अर्थशास्त्र और राजनीतिशास्त्र की पढ़ायी पूरी करी। उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी के विश्वविद्यालयों से अपनी पढ़ायी पूरी करी। इस दौरान उन्होंने दलितों के लिए लड़ायी लड़ी और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में पूर्णतः सफल रहे।
अम्बेडकर जयंती को सविधान दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है क्यूँकि अम्बेडकर जी को ज्ञान और समानता का प्रतीक माना जाता है।
दलित एवं दलित आदिवासियों के मंदिर में प्रवेश, छूआछूत, पानी पीना, ऊँच-नीच, जातीपाती जैसी सामाजिक कुरितीयों को दूर करने का कार्य किया। मनुस्मृति दहन, महाड सत्याग्रह, नाशिक सत्याग्रह जैसे बड़े आंदोलन चलाए।
बेज़ुबान, अशिक्षित और शोषित लोगी को जागरूक करने का कार्य किया। उन्होंने मूक नायक, समता जनता जैसे साप्ताहिक पत्रिकाओं का सम्पादन किया।
भारत लिए रिज़र्व बैंक ओफ़ इंडिया की डॉ अम्बेडकर की रचना रुपए की समस्या, भारतीय बैंकिंग का इतिहास के आधार पर हुई थी।
ब्रिटिश की वित्तीय योजना को देखते हुए भारत में वित्त आयोग की स्थापना करी।
डॉ अम्बेडकर ने भारतीय सामविधान को 2 साल, 11 महीने और 17 दिन में तैयार करने का महान लाद्य किया। वर्ष 1951 में महिला सशक्तिकरणका का हिंदू विधेयक पारित करने में असफलता के बाद स्वतंत्र भारत के प्रथम क़ानून मंत्री के पद से इस्तीफ़ा दिया।
निधन से दो माह पूर्व भीमराव अम्बेडकर ने नासिक में एक सम्मेलन के दौरान बौद्ध धर्म अपनाया। बौद्ध धर्म अपनाने के बाद भारतीय बौद्ध महासभा की स्थापना करी। उनके साथ ही 5 लाख और लोगों ने बौद्ध धर्म अपनाया। बौद्ध धर्म के नियम जैसे प्रज्ञा, करुणा और समता से प्रेरित होकर आंबेडकर जी ने इस धर्मं को अपनाया |
बाबासाहेब का निधन 1956 में दिल्ली स्तिथ उनके आवास पर मधुमेह बीमारी के कारण हुआ। तब उनकी आयु 64 वर्ष थी। दरअसल उस दिन सबकुछ ठीक था | बाबा साहेब एक दिन पहले मुलाकातियों से मिले और सर दर्द की समस्यां के बाद अगले दिन बिस्तर पर मृत मिले |