विक्रम गोस्वामी / क्राइम हिलोरे न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली के आर्य नगर, पहाड़गंज क्षेत्र में कानून व्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही का शर्मनाक चेहरा सामने आया है, जहाँ प्रॉपर्टी संख्या 8421, आर्य नगर,पहाड़गंज में खुलेआम भवन निर्माण नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इस अवैध निर्माण का जिम्मेदार बताया जा रहा है बलविंदर कपूर नामक बिल्डर, जो पहले से ही पत्रकार मणि आर्य पर जानलेवा हमले का आरोपी है। इस निर्माण कार्य में न केवल दिल्ली नगर निगम (डीएमसी) के भवन निर्माण कानूनों का खुला उल्लंघन किया गया है, बल्कि बिजली के खतरनाक तारों की पूरी तरह अनदेखी कर लोगों की जान को भी जोखिम में डाला गया है। जो जानकारी मिली उसके अनुसार वहां भी यही बिल्डर 4196 ,तेल मंडी पहाड़ गंज नई दिल्ली में भी सेक्शन प्लान की अवहेलना करते हुए वहां भी एयर बी एंड बी स्कीम की आड़ में होटल बना रहा है। वही आर्य नगर के बाहर गली नंबर एक में बिल्डर द्वारा ऐसे ही अवैध निर्माण कर बी एंड बी स्कीम की आड़ में अवैध निर्माण कर होटल बनाया जा रहा है। पहाड़ गंज में अब गली गली इतने रिहायशी घर नहीं रह गए हैं उससे कही अधिक होटल बन चुके हैं। इतना टूरिस्ट नही जीतनी अवैध गतिविधिया यहां होती है।
दिल्ली में भवन निर्माण से जुड़े नियम स्पष्ट हैं—बिना स्वीकृत नक्शे के कोई भी निर्माण गैरकानूनी है। निर्माण की ऊँचाई, फासले, अग्नि सुरक्षा, और सार्वजनिक मार्गों पर अवरोध न हो, इसके लिए कड़े प्रावधान हैं। मगर उक्त प्रॉपर्टी में हो रहा निर्माण इन सभी नियमों को ठेंगा दिखाता नज़र आ रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि नगर निगम के भवन विभाग के इंजीनियर इन निर्माण कार्यों को देखकर भी मौन हैं, जिससे साफ जाहिर होता है कि भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं। स्थानीय नेताओं की चुप्पी ने इस मिलीभगत की आशंका को और बल दिया है। सवाल उठता है कि क्या ये अधिकारी और जनप्रतिनिधि किसी दबाव या लाभ के चलते कानून को नजरअंदाज कर रहे हैं?
यह मामला तब और गंभीर हो जाता है जब पत्रकार मणि आर्य, जो इस अवैध निर्माण का पर्दाफाश कर रहे थे, पर बिल्डर के इशारे पर जानलेवा हमला होता है। यह सिर्फ एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की नींव पर हमला है। इससे साफ संकेत मिलता है कि किस तरह बिल्डर माफिया बेखौफ होकर न सिर्फ कानून तोड़ रहे हैं, बल्कि उनकी आलोचना करने वालों को चुप कराने की कोशिश कर रहे हैं।
आर्य नगर और पहाड़गंज जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में इस तरह के अवैध निर्माण न केवल शहरी ढांचे के लिए खतरा हैं, बल्कि किसी भी समय बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं। यह सिर्फ एक प्रॉपर्टी की बात नहीं है, बल्कि दिल्ली के तमाम क्षेत्रों में इसी तरह का निर्माण कार्य प्रशासन की नाक के नीचे फल-फूल रहा है। यदि समय रहते इस पर कड़ा संज्ञान नहीं लिया गया, तो यह सिलसिला और गंभीर रूप ले सकता है।
अब जरूरी है कि दिल्ली सरकार, नगर निगम और पुलिस विभाग इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाकर जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। पत्रकार पर हमला करने वालों को सजा मिले और निर्माण नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाए ताकि नागरिकों की जान और सुरक्षा से खिलवाड़ न हो सके। अवैध निर्माण के खिलाफ यह लड़ाई सिर्फ पत्रकार की नहीं, बल्कि हर जागरूक नागरिक की है।