एमसीडी और बिल्डर माफिया की सांठगांठ से पहाड़ गंज में खड़ी हो रही हैं अवैध इमारतें, एयर बी एंड बी स्कीम के नाम पर बन रहे हैं अवैध होटल, प्रशासन सवालों के घेरे में

अपराध संवाददाता 

एमसीडी और बिल्डर माफिया की सांठगांठ से पहाड़ गंज में खड़ी हो रही हैं अवैध इमारतें, एयर बी एंड बी स्कीम के नाम पर बन रहे हैं अवैध होटल, प्रशासन सवालों के घेरे में

नई दिल्ली। राजधानी में एमसीडी और बिल्डर माफिया की खुली मिलीभगत अब किसी से छिपी नहीं है। ऐसे ही पहाड़गंज में 8928 गली नंबर 1 मुल्तानी Dhandha पहाड़ गंज में पांच मंजिला अवैध इमारत खड़ी कर दी गई है और अब उसी अवैध निर्माण को वैध दिखाकर पुलिस और पर्यटन मंत्रालय से मंजूरी लेने की साज़िश चल रही है। बिल्डर ने इस इमारत को बेड एंड ब्रेकफास्ट स्कीम के तहत लाइसेंस दिलवाने की तैयारी कर ली है, जबकि स्कीम की पहली ही शर्त की आपको वही उसी इमारत में परिवार सहित वही रहना होगा। आप अपने घर में एक बेड रूम से लेकर अधिकतम 6 बेड रूम तक बना सकते हैं । आपको अपने अड़ोसी पड़ोसी कीNOC लेना अनिवार्य है कि पड़ोसियों को कोई आपत्ति नहीं है आपके द्वारा गेस्ट रखने पर। स्थानीय पुलिस की NOC जरूरी है। फायर की NOC जरूरी है ऐसे ही मिनिस्ट्री ऑफ टूरिज्म की कई शर्ते है तब कही एयर बेड एंड ब्रेकफास्ट स्कीम के तहत आप लाइसेंस प्रात कर सकते हैं। लेकिन दिल्ली के पहाड़ गंज में इस स्कीम का खुला उल्लंघन किया गया है।

इस योजना के तहत न केवल यह अनिवार्य है कि निर्माणकर्ता स्वयं उस घर में परिवार सहित निवास करे, बल्कि यह भी जरूरी है कि वह अधिकतम छह बेडरूम तक ही कमरे बनाए। पुलिस, फायर और स्थानीय निवासियों से एनओसी लेना भी अनिवार्य है। लेकिन यहां तो पांच मंजिला होटल जैसा ढांचा खड़ा कर दिया गया है। सवाल उठता है कि क्या एमसीडी की आंखें बंद हैं या फिर जेब गर्म?

इन मामलों में एमसीडी की चुप्पी और बिल्डर की हिम्मत इस बात का प्रमाण है कि राजधानी की जमीन पर भ्रष्टाचार की इमारत कितनी ऊंची हो चुकी है।
अवैध निर्माणों पर कार्रवाई की बजाय अब उन्हें वैधता का जामा पहनाने की कोशिशें हो रही हैं। यदि यह माफिया गठजोड़ यूं ही बेलगाम रहा, तो दिल्ली में कानून और नियमों की कोई अहमियत नहीं रह जाएगी।

इस तरह की निर्माण गतिविधियां न सिर्फ न्याय व्यवस्था का उपहास हैं, बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा, आस्था और जीवनशैली के अधिकारों का भी खुला उल्लंघन हैं। अब समय आ गया है कि जनता जागे और इन अवैध निर्माणों पर न सिर्फ सवाल उठाए, बल्कि जिम्मेदार अधिकारियों की भी जवाबदेही तय की जाए।

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