करवाचौथ व्रत के हर शादीशुदा महिला को पता होना चाहिए ये 15 नियम

करवा चौथ 1 नवंबर को है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखेंगी। करवा चौथ का सनातन धर्म में बहुत महत्व है। पंचांग के मुताबिक, प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन यह पर्व मनाया जाता है।

इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती है। इस पर्व में चंद्रमा का बहुत महत्व है। महिलाएं दिन भर व्रत रखकर शाम में पूजा के पश्चात् चांद देखकर ही अपना व्रत तोड़ती है। ऐसे में आइये आपको बताते है व्रत को रखने के 15 खास नियम।

*कहा जाता है यह व्रत सूर्योदय से पहले से प्रारंभ हो जाता है तथा उसके पहले कुछ भी खा-पी सकते हैं। हालाँकि उसके बाद जब तक रात्रि में चंद्रोदय नहीं हो जाता तब तक जल भी ग्रहण नहीं करते हैं।
* चन्द्र दर्शन के पश्चात् ही इस व्रत का विधि विधान से पारण करना चाहिए।
* शास्त्रों के अनुसार, सिर्फ सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया हो वही महिलाऐं ये व्रत रख सकती हैं।
* पत्नी के अस्वस्थ होने की स्थिति में पति ये व्रत रख सकते हैं।
* करवा चौथ की पूजा में करवा माता के अतिरिक्त भगवान शिव, गणेश, माता पार्वती और कार्तिकेय सहित नंदी जी की भी पूजा की जाती है।
* पूजन के समय देव-प्रतिमा का मुख पश्चिम की तरफ होना चाहिए और महिला को पूर्व की ओर मुख करना चाहिए।
* इस व्रत के दौरान महिलाओं को लाल या पीले वस्त्र ही पहनना चाहिए।
* इस दिन पूर्ण श्रृंगार करना चाहिए।
* पारण के समय अच्छा भोजन करना चाहिए।
* करवा चौथ व्रत की कथा सुनते समय साबूत अनाज और मीठा साथ में रखें।

*कहानी सुनने के बाद बहुओं को अपनी सास को बायना देना चाहिये।
* कुँवारी महिलाएं चंद्र की जगह तारों को देखे।
* चंद्रदेव निकले तो उन्हें देखने के बाद अर्घ्य दें।
* इस व्रत में मिट्टी के करवे लेकर उनसे पूजा करें।
* सफेद रंग की वस्तुओं का दान न करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *