एसोसिएशन दोनों ने इस दिशा में कुछ काम नहीं किया है।
*नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया में अलग-अलग एजेंसियां वसूली और उत्पीडन करती हैं- अरविंद केजरीवाल*
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम इन इंडस्ट्रीज को बंद नहीं करा सकते हैं, क्योंकि ऐसा करना बहुत बड़ी मानव त्रासदी ला सकता है। आज इन 26 नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया में 51 हजार इंडस्ट्रीज संचालित होती हैं, जिसमें सीधे तौर पर 5 लाख लोगों को रोजगार मिलता है। वहीं, 10 लाख लोगों को किसी न किसी तरह से इन इंडस्ट्रीज के जरिए रोजगार मिलता है। ऐसी स्थिति में इन इंडस्ट्री को बंद करना सही नहीं होगा। इन इंडस्ट्रीज को लेकर सुप्रीट कोर्ट ने सरकार को कई बार यह आदेश दिए हैं कि अगर इन इलाकों को नियमित नहीं किया गया तो इन्हें बंद करना पड़ेगा और समय-समय पर इन इंडस्ट्रिज के उपर कोर्ट की तलवार चलती रही। वहीं, नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया में अलग-अलग एजेंसियां वसूली और उत्पीडन करती हैं। इंडस्ट्रीज को इन एजेंसियों को पैसे देने पडते हैं।
बढ़ावा देने और अधिक रोजगार पैदा करने में मदद करने के लिए इन एरिया का संपूर्ण पुनर्विकास करेंगे। उद्योगपतियों के सहयोग के बिना यह प्रोजेक्ट सफल नहीं हो सकता, अच्छी बात है कि सभी एसोसिएशन ने अपना पूरा समर्थन दिया है।
*दिल्ली के ये हैं नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया*
दिल्ली में कुल 26 नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरियाज हैं जिसमें आनंद पर्बत, शाहदरा, समयपुर बादली, जवाहर नगर, सुल्तानपुर माजरा, हस्तसाल पॉकेट-ए, हस्तसाल पॉकेट-डी, नरेश पार्क एक्सटेंशन, लिबासपुर, पीरागढ़ गांव, ख्याला, शालामार गांव, न्यू मंडोली, नवादा, रिठाला, स्वर्ण पार्क मुंडका, हैदरपुर, करावल नगर, डाबरी, बसई दारापुर, प्रहलादपुर बांगर, मुंडका उद्योग नगर दक्षिण, फिरनी रोड मुंडका, रनहोला, नंगली सकरवाती और टिकरी कलां शामिल हैं। इसी के साथ गोदाम क्लस्टर के लिए मुंडका (उत्तर) क्लस्टर का पुनर्वास किया जाना है। इन सभी नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल क्षेत्रों की अधिसूचना का कार्य 1990 में शुरू हुआ था और 2021 तक जारी रहा।
*दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के तहत किया जाएगा इन एरिया का विकास*
दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के तहत नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरियाज में इंडस्ट्रीज और गोदाम क्लस्टर्स के पुनर्विकास के लिए अधिसूचना जारी की गई है। इसमें कई नियम व शतें हैं। पहला नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया को कम के कम 4 हेक्टेयर जमीन में फैला होना चाहिए। सर्वे के आधार पर क्लस्टर के अंदर 70 फीसद से अधिक जमीन पर औद्योगिक गतिविधि होनी चाहिए, तभी उसे पुनर्विकास के लिए योग्य माना जाएगा। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली द्वारा ऐसी क्लस्टर्स की अधिसूचना के बाद उनके पुनर्विकास के लिए सोसायटी के परामर्श पर इसे स्थानीय निकाय और लैंड ओनिंग एजेंसी द्वारा तैयार किया जाएगा। अभी तक दिल्ली के 26 नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरियाज को पुनर्विकास के लिए अधिसूचित किया गया है। गोदामों या वेयर हाउसिंग गतिविधियों के ऐसे नॉन कंफर्मिंग क्लस्टर जहां कम से कम 2 हेक्टेयर के आसपास क्षेत्रफल हो और क्लस्टर के अंदर 55 फीसद से ज्यादा इंडस्ट्रीयल प्लाट्स हैं, उनका वास्तविक सर्वे के आधार पर चिंहित कर पुनर्विकास किया जा सकता है। इस प्रावधान के तहत मुंडका (नार्थ) गोदाम क्लस्टर को पुनर्विकास के लिए अधिसूचित किया गया है।
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