जानिए – कौन है कर्नल सोफिया कुरैशी और एयरफोर्स की विंग कमांडर व्‍योमिका सिंह जिन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की बताई पूरी कहानी, केवल क्राइम हिलोरे न्यूज ग्रुप पर

व्‍योमिका सिंह ने खेलने-कूदने की उम्र में ही सेना में जाने की खाई कसम और बन गई फाइटर पायलट

जाने- क्या है ऑपरेशन सिंदूर ?

ऑपरेशन सिंदूर’ ही क्यों दिया नाम ?

सूनी माँग का बदला ऑपरेशन सिंदूर

लेखक- मदन मोहन भास्कर

पाकिस्तान में चल रहे आतंकी ठिकानों पर की गई जोरदार कार्रवाई के बारे में जानकारी देने के लिए भारत की ओर से दो महिला अफसर आगे आईं। इनमें एक महिला अफसर कर्नल सोफिया कुरैशी और दूसरी भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह हैं। इनके साथ भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल रहे। भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और एयरफोर्स की विंग कमांडर व्‍योमिका सिंह ने प्रेस ब्रीफ में भारत के पाकिस्‍तान पर किए मिलिट्री ऑपरेशन की जानकारी दी। दोनों ऑफिसर्स ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पूरी कहानी बताई। कर्नल सोफिया जहां आर्मी कम्‍युनिकेशन एक्‍सपर्ट हैं, वहीं विंग कमांडर व्‍योमिका स्‍पेशलिस्‍ट हेलीकॉप्टर पायलट हैं। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत जोरदार कार्रवाई करते हुए प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े नौ ठिकानों को निशाना बनाया है। ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी देते हुए कर्नल सोफिया कुरैशी ने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया था। इसमें नौ आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाकर खत्म कर दिया गया है ।

जाने कौन है कर्नल सोफिया कुरैशी ?

भारतीय सेना की सिग्नल कोर की अफसर कर्नल सोफिया कुरैशी ने 35 साल की उम्र में अपने सैन्य रिकॉर्ड से कई लोगों को प्रेरित किया है। मार्च 2016 में जब वह लेफ्टिनेंट कर्नल थीं तो इन्होंने बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में सेना की टुकड़ी का नेतृत्व किया था और ऐसा करने वाली वह पहली महिला अफसर थीं। यह अभ्यास आज तक भारत की ओर से किया गया सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास है। कर्नल कुरैशी सिग्नल कोर में सर्विस देती हैं, जो आर्मी कम्युनिकेशन में एक्सपर्टीज रखती हैं। इन्होंने ऑपरेशन पराक्रम 2001-2002 में पंजाब सीमा पर तैनात होने पर उन्हें उनकी समर्पित सेवा के लिए जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। कांगो ऑपरेशन साल 2006 में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में महिलाओं और बच्चों को हिंसा से बचाने को लेकर एक सैन्य टीचर के तौर पर काम किया है। पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ राहत अभियान के दौरान कम्युनिकेशन के जरिए उनके असाधारण काम के लिए उन्हें सिग्नल ऑफिसर-इन-चीफ से प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया ।

कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?

गुजरात की रहने वाली सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की सिग्नल कोर में अधिकारी हैं और इन्होंने अपने करियर में कई ऐसे मील के पत्थर स्थापित किए हैं, जो महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुके हैं। सोफिया कुरैशी ने सेना के ही मैकेनाइज़्ड इन्फैंट्री में कार्यरत मेजर ताजुद्दीन कुरैशी से विवाह किया। दोनों का एक नौ वर्षीय बेटा भी है।

सोफिया सैन्य परिवार से आती हैं। उनके दादा भारतीय सेना में सेवा दे चुके हैं और उनके पिता भी कुछ समय तक सेना में कार्यरत रहे। इस सैन्य पृष्ठभूमि के कारण बचपन से ही सोफिया भी फौजी बनने का सपना देखने लगी थीं। वर्ष 1999 में उन्होंने ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (ओटीए ) के माध्यम से सेना में कमीशन प्राप्त किया। इसके बाद ये देश के विभिन्न हिस्सों में तैनात रहीं जिनमें काउंटर-इंसर्जेंसी (उग्रवाद-रोधी) क्षेत्रों में भी उन्होंने कार्य किया।

कर्नल सोफिया कुरैशी का करियर

सोफिया कुरैशी को शांति अभियानों का अनुभव भी रहा है। वर्ष 2006 में उन्होंने कांगो,अफ्रीका में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में मिलिट्री ऑब्जर्वर रूप में सेवाएं दीं।

कर्नल सोफिया कुरैशी की एतिहासिक उपलब्धियाँ

कर्नल सोफिया कुरैशी पहली महिला अधिकारी हैं जिसने विदेशी सैन्य अभ्यास का नेतृत्व किया। मार्च 2016 में सोफिया कुरैशी ने इतिहास रचते हुए पहली भारतीय महिला अधिकारी बनने का गौरव प्राप्त किया जिन्होंने किसी बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व किया। यह अभ्यास ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ के नाम से पुणे में 2 मार्च से 8 मार्च 2016 के बीच आयोजित हुआ। यह अब तक का भारत द्वारा आयोजित सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास था। आसियान (ASEAN) देशों के साथ-साथ भारत, जापान, चीन, रूस, अमेरिका, कोरिया, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया की सेनाएं शामिल हुईं। इस अभ्यास में कुल 18 सैन्य टुकड़ियों ने भाग लिया था।जिनमें से सोफिया अकेली महिला अधिकारी थीं। जिन्होंने भारतीय टुकड़ी का नेतृत्व किया। उनकी टुकड़ी में 40 सदस्य थे, जो संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों और ह्यूमैनिटेरियन माइन एक्शन के प्रशिक्षण में शामिल रहे। सभी प्रतिनिधिमंडलों में कुरैशी एकमात्र महिला अफसर थीं जो किसी टुकड़ी का नेतृत्व कर रही थीं। यह उनकी नेतृत्व क्षमता, समर्पण और उत्कृष्टता का शानदार प्रमाण है। कुरैशी 40 सदस्यों वाली भारतीय टुकड़ी की कमांडिंग ऑफिसर थीं। इन्होंने पीसकीपिंग ऑपरेशन्स और ह्यूमैनिटेरियन माईन एक्शन (एच एम ए ) पर केंद्रित अहम प्रशिक्षण सत्रों का नेतृत्व किया। कुरैशी ने 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशन में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में सेवा दी थी और 2010 से (PKOs) से जुड़ी हुई हैं।

सेना में थे सोफिया कुरैशी के दादा

सोफिया कुरैशी के परिवार में कई लोग सेना में रहे हैं। इनके दादा सेना में थे। सोफिया कुरैशी की शादी मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री के एक अफसर से हुई है।
सोफिया कुरैशी मूल रूप से गुजरात के वडोदरा से हैं। साल 1981 में जन्‍मीं सोफिया ने जैव रसायन (बायोकैमिस्ट्री ) में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की है।

जाने – कौन है सपेशलिस्‍ट हेलीकॉप्टर पायलट विंग कमांडर व्योमिका ?

विंग कमांडर व्योमिका सिंह भारतीय वायु सेना में हेलीकॉप्टर पायलट है। ये चुनौतीपूर्ण इलाकों में चेतक और चीता जैसे स्‍पेशलाइजड हेलिकॉप्‍टर ऑपरेट करती हैं। ये अपने परिवार में सशस्त्र बलों में शामिल होने वाली पहली महिला है और पिछले 21 साल से एयरफोर्स में अपनी सेवाएं दे रही है।

विद्यालय के दिनों से था पायलट बनने का सपना

व्व्योमिका का अर्थ ही आकाश या आकाश की बेटी कहा जाता है। योमिका सिंह जब 6वीं कक्षा में पढ़ती थीं तो उन्हें पता चला कि उनके नाम ‘व्‍योमिका’ का मतलब है उड़ना। तभी उन्होंने तय कर लिया कि वो एयरफोर्स का हिस्सा बनेंगी। अपने जुनून ने चलते इन्होंने स्‍कूल में एन सी सी जॉइन की और शॉर्ट सर्विस कमीशन की मदद से एयरफोर्स में नौकरी लग गई ।

एनसीसी से शुरुआत कर 2019 में वायुसेना में की एंट्री

व्योमिका ने अपने सपने को पाने की शुरुआत राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) में शामिल होकर की। इसके बाद इन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।
वह अपने परिवार में सशस्त्र बलों में शामिल होने वाली पहली महिला हैं।
इन्हें 2019 में भारतीय वायु सेना में एक हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में नियुक्त किया गया था

ऊंचे इलाकों में हेलीकॉप्टर चलाने का अनुभव

विंग कमांडर व्योमिका उच्च जोखिम वाले इलाकों में अनुभव रखने वाली पायलट हैं। इन्होंने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर सहित कुछ सबसे कठिन इलाकों में चेतक और चीता जैसे हेलीकॉप्टरों का संचालन किया है। व्यामिका सिंह कई बचाव अभियानों में अहम भूमिका निभा चुकी हैं। अपनी ऑपरेशनल भूमिका के अलावा, विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने उच्च सहनशक्ति मिशनों में भी भाग लिया है।

प्रेरणादायक महिलाओं में शामिल

विंग कमांडर व्योमिका सिंह भारतीय वायुसेना की उन प्रेरणादायक महिलाओं में शामिल हैं, जिन्होंने अपने सपनों को हकीकत में बदलकर देश सेवा को अपना जीवन समर्पित कर दिया। बचपन से ही उन्हें आसमान में उड़ने का ख्वाब था। एक ऐसा सपना जिसे उन्होंने न सिर्फ जिया, बल्कि उसे अपनी पहचान बना लिया। अपने अदम्य साहस, गहरी निष्ठा और असाधारण नेतृत्व क्षमता के बल पर व्योमिका ने भारतीय वायुसेना में एक विशिष्ट स्थान हासिल किया है। इन्होंने यह साबित किया है कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। आज वे न केवल नई पीढ़ी की महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल हैं, बल्कि समस्त देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

व्योमिका सिंह की करियर की उपलब्धियाँ

ऑपरेशन सिंदूर में भूमिका व्योमिका ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके ) में आतंकवादी ठिकानों पर भारतीय वायुसेना की एयरस्ट्राइक की जानकारी साझा की। इन्होंने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि किस प्रकार भारतीय वायुसेना ने सटीकता से लक्ष्यों को भेदा और पाकिस्तान को चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी हरकतों का परिणाम गंभीर होगा।

शौर्य चक्र से सम्मानित-

व्योमिका सिंह की वीरता और साहस को मान्यता देते हुए उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार भारतीय वायुसेना में उनके योगदान का प्रतीक है।

महिला सशक्तिकरण की प्रतीक –

व्योमिका सिंह न केवल एक कुशल पायलट हैं, बल्कि महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी हैं। उन्होंने यह साबित किया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। उनकी कहानी देश की महिलाओं को अपने सपनों को साकार करने की प्रेरणा देती है।

मीडिया में उपस्थिति-

व्योमिका सिंह की प्रेस ब्रीफिंग्स और मीडिया इंटरैक्शन ने इन्हें एक सशक्त और प्रभावशाली वक्ता के रूप में स्थापित किया है। इनकी स्पष्टता, आत्मविश्वास और देशभक्ति की भावना ने उन्हें मीडिया में एक सम्मानित चेहरा बना दिया है।

महिलाओं की रोल मॉडल बनीं व्योमिका सिंह-

विंग कमांडर व्योमिका सिंह की यात्रा एक उदाहरण है कि कैसे समर्पण, मेहनत और साहस से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है। इनकी कहानी न केवल भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को हकीकत में बदलना चाहता है।

2500 से ज्यादा घंटे तक फ्लाइट उड़ाने का अनुभव

व्योमिका सिंह अपने परिवार में सशस्त्र बलों में शामिल होने वाली पहली हैं। उन्हें भारतीय वायु सेना में एक हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में कमीशन दिया गया और 18 दिसंबर, 2019 को फ्लाइंग ब्रांच में स्थायी कमीशन मिला था। विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने 2,500 से ज़्यादा घंटे फ्लाइट्स उड़ाने का अनुभव हासिल किया है। इन्होंने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर सहित कुछ सबसे कठिन इलाकों में चेतक और चीता जैसे हेलीकॉप्टरों का संचालन किया है।

कई बचाव अभियानों में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

व्यामिका सिंह कई बचाव अभियानों में अहम भूमिका निभा चुकी हैं। अपनी ऑपरेशनल भूमिका के अलावा, विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने उच्च सहनशक्ति मिशनों में भी भाग लिया है। 2021 में, वह माउंट मणिरंग पर तीनों सेनाओं के सभी महिला पर्वतारोहण अभियान में शामिल हुईं, जो 21,650 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस प्रयास को वायु सेना प्रमुख सहित वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने मान्यता दी थी।

सेना में जाने वाली परिवार की पहली महिला

व्योमिका सिंह ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और बाद में वायु सेना में शामिल हुईं। सेना में जाने वाली व्योमिका अपने परिवार की पहली महिला हैं। इन्हें भारतीय वायु सेना में हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में कमीशन मिला। 18 दिसंबर 2019 को उन्होंने फ्लाइंग ब्रांच में परमानेंट कमीशन हासिल कर लिया।

उड़ाए हैं चेतक और चीता जैसे हेलीकॉप्टर

विंग कमांडर व्योमिका सिंह को मुश्किल जगहों पर उड़ान का शानदार अनुभव है। जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर जैसी मुश्किल जगहों पर व्योमिका सिंह ने चेतक और चीता जैसे हेलीकॉप्टर उड़ाए हैं। इसके अलावा वह कई बचाव अभियानों और मुश्किल मिशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं।

रह चुकी हैं कई मिशन का हिस्सा

नवंबर 2020 में व्योमिका सिंह ने अरुणाचल प्रदेश में एक बड़ा बचाव अभियान चलाया था। यह अभियान काफी ऊंचाई पर, खराब मौसम में और दूर-दराज के इलाकों में चलाया गया था। ऐसे इलाकों में लोगों की जान बचाने के लिए हवाई मदद की बहुत जरूरी होती है। इसके अलावा 2021 में, इन्होंने माउंट मनीरंग पर एक पर्वतारोहण अभियान में भी भाग लिया। यह पहाड़ 21,650 फीट ऊंचा है। इस अभियान में तीनों सेनाओं की महिला अफसरों ने हिस्सा लिया था।

क्या है ऑपरेशन सिंदूर?

सेना की ओर से दो महिला अधिकारियों ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बताया। इनमें से एक वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह और दूसरी भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी थीं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बताया कि पहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या का बदला लेने के लिए भारत ने पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर के तहत कार्रवाई की है। भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाके में बने 9 आतंकी कैंपों पर हमला किया। इन हमलों का मकसद उन आतंकी समूहों के ठिकानों को खत्म करना था जो एल ओ सी के पार से गतिविधियां चलाते हैं। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को एयरस्ट्राइक करके नष्ट कर दिया। इस ऑपरेशन का नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रखा गया। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले में धर्म पूछकर 26 पर्यटकों को मार डाला गया था। इस खौफनाक आतंकी हमले में शामिल दहशतगर्दों ने पुरुषों को मार डाला था और उनकी पत्नियों, बहनों और बेटियों को छोड़ दिया था। यही नहीं मौके पर अपने पति को मरा देखकर आपा खो बैठी एक महिला ने आतंकी से खुद को भी मारने के लिए कहा था। इस पर आतंकियों ने कहा था कि हम तुम्हें नहीं मारेंगे, मोदी को जाकर बता देना। दरअसल आतंकियों ने सिर्फ पुरुषों को मारकर एक संदेश देने की कोशिश की थी। वह यह कि महिलाओं को छोड़ दिया जाए और उनके सामने ही उनके परिजनों का कत्ल किया जाए ताकि जिंदगी भर वे दुःखी रहे ।

ऑपरेशन सिंदूर’ ही क्यों दिया नाम?

पहलगाम में जिस बर्बरता से आतंकवादियों ने निर्दोष व्यक्तियों को निशाना बनाया उसमें महिलाओं और बच्चों सहित आम नागरिक शामिल थे। उस हमले में कई शादीशुदा महिलाओं ने अपने सिंदूर को सामने से उजड़ते हुए देखा इसलिए यह उसका प्रतिशोध है। यही कारण है कि इसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया।

सूनी माँग का बदला ऑपरेशन सिंदूर

पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकियों ने धर्म पूछकर गोली मारी थी। साथ ही सिर्फ पुरुषों को टारगेट किया गया था।आतंकियों का मकसद महिलाओं के सामने उनके सिंदूर को पोंछना था। भारतीय संस्‍कृति में सिंदूर महिलाएं अपने सुहाग यानी पति की लंबी उम्र के प्रतीक के रूप में लगाती हैं। दुल्हन के माथे पर सिंदूर का एक छींटा उसके जीवन में उसके पति की उपस्थिति को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि महिला विवाहित है और उसका पति जीवित है। विवाहित हिंदू महिलाओं के जीवन में इसका पारंपरिक और सांस्कृतिक महत्व है।

सिन्दूर भी योद्धा का है चिह्न

भारत में योद्धा, लूटपाट करने वाले शत्रु का सामना करने के लिए जाते समय, अपने माथे पर टीका या तिलक लगाते थे, जो प्रायः सिन्दूर का होता था। राजपूतों और मराठा योद्धाओं को उनके माथे पर लाल चमकते हुए निशान के साथ चित्रित किया गया है, क्योंकि वे अपनी भूमि और धर्म के लिए दुश्मन से लड़ते हुए अपना सिर ऊंचा रखते थे।

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