स्कूली बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकताः एसडीएम
झज्जर, 21 जनवरी
वरिष्ठ पत्रकार चिमन लाल
जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी के तहत नियमों की अनदेखी करने वाले स्कूल वाहनों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जाएगा। आगामी 45 दिनों तक पूरे जिले में स्कूल वाहनों की फिटनेस जांचने के लिए एक विशेष चेकिंग अभियान चलाया जाएगा। जिसके तहत स्कूल वाहनों की जांच की जाएगी और नियमों की अवहेलना करने वाले स्कूल वाहनों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। यह कदम बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने और सड़क सुरक्षा मानकों का पालन कराने के उद्देश्य से उठाया गया है। एसडीएम एवं आरटीए रविंद्र यादव ने इस संबंध में अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। बैठक में विभिन्न विभागों के अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई और अभियान को सफल बनाने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए। उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस अभियान के दौरान फिटनेस मानकों पर खरे न उतरने वाले और नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत स्कूल वाहनों की तकनीकी फिटनेस, वैध दस्तावेजों, ड्राइवरों के लाइसेंस, फर्स्ट एड किट, अग्निशमन उपकरण और ओवरलोडिंग की स्थिति की सघन जांच की जाएगी। इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि वाहन चालक सुरक्षित और अनुशासित ढंग से वाहन चला रहे हैं।
एसडीएम ने कहा कि सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी के अंतर्गत सभी आवश्यक हिदायतों को लेकर जीरो टॉलरेंस के तहत अनुपालना सुनिश्चित होनी चाहिए। स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरा, जीपीएस सिस्टम व रूट चार्ट होने चाहिए। इसी प्रकार बस में सिटिंग से ज्यादा बच्चे नहीं बैठने चाहिए। एक अटैंडेंट व गर्ल्स चाइल्ड होने पर महिला अटैंडेंट जरूर होनी चाहिए। बस में स्पीड नियंत्रक, सीट बेल्ट होनी चाहिए। बस पर स्कूल प्रशासन या मालिक का नंबर, पुलिस कंट्रोल नंबर, चाइल्ड हेल्पलाइन का नंबर लिखे होने चाहिए। वाहन का पंजीकरण, बीमा, प्रदूषण, फिटनेस व परमिट सर्टिफिकेट जरूर होने चाहिएं। बस ड्राइवर के पास बस चलाने का कम से कम 5 साल का अनुभव होना चाहिए। बस ड्राइवर को नशे की हालत में या किसी नशीले पदार्थ के प्रभाव में वाहन चलाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। स्कूल प्रबंधन को समय-समय पर ड्राइवर/कंडक्टर/अटेंडेंट के आचरण के बारे में फीडबैक लेना चाहिए। स्कूल प्रबंधन को किसी भी संदेह के मामले में ड्राइवरों का तुरंत मेडिकल टेस्ट करवाना चाहिए। वाहन के बाहर स्कूल वाहन जरूर लिखा होना चाहिए। उन्होंने अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन से भी अपील की कि वे बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए केवल नियमों का पालन करने वाले वाहनों का ही उपयोग करें। उन्होंने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य किसी को परेशान करना नहीं, बल्कि बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।