सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद मनीष सिसोदिया जेल से तो छूटेंगे, पर क्या वो एक बार फिर उप-मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होंगे? जवाब है- फिलहाल तो नहीं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मनीष सिसोदिया का दोबारा डिप्टी सीएम या मंत्री बनना फिलहाल संभव नहीं है।
उनको 26 फरवरी, 2023 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने गिरफ्तार किया था. कुछ दिन बाद उन्होंने उपमुख्यमंत्री पद और दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. अब सिसोदिया को तब तक मंत्री नहीं बन सकते जब तक वो दोबारा शपथ नहीं लेते हैं. यहीं पेच है।
इंडियन एक्सप्रेस ने दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से लिखा है, “मंत्रिपरिषद में शामिल होने और उपमुख्यमंत्री के रूप में नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री को उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए सचिवालय में प्रस्ताव भेजना होगा.”
लेकिन जिस मामले में सिसोदिया को जमानत मिली है उसी मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में हैं. अखबार ने लिखा है कि इस वजह से फिलहाल ना तो कोई मंत्री बन सकता है और ना ही डिप्टी सीएम की नियुक्ति हो सकती है।
मनीषा सिसोदिया के इस्तीफे के बाद कैबिनेट में उनकी जगह अतिशी ने ले ली थी. अतिशी ने तीन प्रमुख विभागों – शिक्षा, वित्त और पीडब्ल्यूडी के साथ-साथ कई अन्य विभागों का कार्यभार संभाला. जब सिसोदिया मंत्री थे और सत्येंद्र जैन जेल जा चुके थे, तब उनके पास 18 विभाग थे. सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद अतिशी को 13 से अधिक विभाग सौंपे गए.
रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली सरकार में सोशल वेलफेयर मिनिस्टर का पद भी खाली है. लेकिन शर्त वही है कि मुख्यमंत्री प्रस्ताव भेजें. जो कि संभव नहीं है क्योंकि मुख्यमंत्री जेल में हैं।
इस बीच आम आदमी पार्टी का कहना है कि सिसोदिया भले ही सरकार का हिस्सा ना रहें, लेकिन पार्टी की गतिविधियों में शामिल होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को 9 अगस्त को जमानत दी. कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया जमानत के हकदार हैं. कोर्ट ने सिसोदिया को अपना पासपोर्ट सरेंडर करने और हर सोमवार और बृहस्पतिवार को थाने में हाजिरी लगाने को कहा है. इस बीच केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि सिसोदिया को मुख्यमंत्री के दफ्तर जाने की अनुमति ना दी जाए, जिसको कोर्ट ने खारिज कर दिया।
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