पुलिस अगर किसी को गिरफ्तार करके लाती है तो उस व्यक्ति को अब घंटे से अधिक थाने में बेवजह नहीं बैठा सकेगी। उस व्यक्ति का विवरण थाने और जिला मुख्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करना होगा।
इससे उसके परिवार और रिश्तेदार आसानी से सूचना पा सकेंगे। उसे तुरंत मदद मिल सकेगी।
इसके साथ ही अगर पुलिस किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करती है तो संबंधित व्यक्ति को अधिकार होगा कि वह अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति को इसकी सूचना दे सकेगा। अब आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत 156 (3) में सिर्फ अधिवक्ता के कहने पर कोर्ट किसी पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश नहीं देगी। इससे पहले संबंधित व्यक्ति का पक्ष भी सुना जाएगा।
अब
नए कानून से न्यायिक प्रक्रिया सरल होगी। मुकदमे जल्दी से निपटाए जा सकेंगे। नए कानून में सिर्फ दंड देने की बात नहीं है। नागरिकों को न्याय देना भी इसका मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने बताया पुराने आइपीसी 1860 का उद्देश्य सिर्फ सजा देना था, जबकि कानून में केवल सजा देना ही न्यायोचित व्यवस्था नहीं है। नए कानून में सामाजिक न्याय, सामाजिक सुरक्षा को जगह मिली है।
कानून में अब राजद्रोह और अन्य अपराधों में सुधार करते हुए देशद्रोह को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। कानून में आतंकवाद और उसके अपराध को परिभाषित किया गया है।
मॉब लिचिंग के मामले में नया सेक्शन शामिल किया गया है। अगर गवाही में ऐसे मामले में संलिप्तता पाई जाती है तो कठोर सजा का प्रावधान भी है। हिट एंड रन केस का भी नए कानून में संज्ञान लिया गया है। इसमें सजा का प्रावधान किया गया है। दंड कानूनों में परिवर्तन करते हुए छोटे-मोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा को सजा के रूप में शामिल किया गया है।
नए कानून की कुछ नई बातें
- आतंकवादी, हत्या, रेप सहित संगठित अपराध में आरोपित को हथकड़ी लगाने की अनुमति।
- तीन से सात साल की सजा के केस में 14 दिन की प्रारंभिक जांच पूरी करके एफआइआर दर्ज की जाएगी। 24 घंटे में रिपोर्ट कोर्ट के सामने रखनी होगी।
- पुलिस के साथ कोर्ट के लिए समय सीमा तय कर दी गई है।
- गवाहों को कहीं से भी आडियो और वीडियो माध्यम से बयान दर्ज कराने का विकल्प रहेगा। इससे बगैर किसी डर के गवाह अपनी बात रख सकेगा।
- पीड़ित व्यक्ति कहीं से भी एफआइआर दर्ज करा सकेगा।
- तलाशी, जब्ती के मामले में वीडियोग्राफी होगी।
- अपराध अर्जित संपत्ति को उससे प्रभावित लोगों में बांटने का भी प्रावधान किया गया है।
- दंड में जुर्माना और जेल भेजने दोनों का प्रावधान रहेगा।
- 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को पुलिस वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति से ही गिरफ्तार कर सकेगी।