महाशिवरात्रि पर श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन, विदुर चरित्र और ध्रुव कथा का हुआ वर्णन

विशेष संवाददाता चिमन लाल

रोहतक

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर शिव मंदिर, वार्ड-1, गांधीनगर, रोहतक में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया। कथा के तीसरे दिन, शनिवार को स्वामी रामानुज दास (रामा आश्रम, रोहतक) ने श्रद्धालुओं को ध्रुव एवं विदुर चरित्र की कथा सुनाई। कथा व्यास स्वामी रामानुज दास ने प्रवचन में कहा कि यदि पांच वर्ष का बालक ध्रुव कठोर तपस्या से भगवान को प्राप्त कर सकता है, तो हम भी सच्चे मन से भक्ति कर भगवान का सान्निध्य पा सकते हैं। भगवान अपने भक्तों की सच्ची श्रद्धा को देखकर स्वयं उनसे मिलने आते हैं।
विदुर प्रसंग का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने विदुरजी के घर जाकर प्रेमपूर्वक भोजन स्वीकार किया। उन्होंने दुर्योधन के महल में छप्पन भोग का त्याग कर विदुरजी के घर पर केले के छिलकों तक को प्रेमपूर्वक ग्रहण किया। इससे स्पष्ट होता है कि भगवान केवल भक्त के प्रेम भाव के भूखे होते हैं, न कि भौतिक ऐश्वर्य के। कथा के दौरान सृष्टि वर्णन का प्रसंग भी विस्तार से सुनाया गया। महंत अशोक दास जी महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान को पाने के लिए मन और भाव की शुद्धता आवश्यक है। ईश्वर भक्ति में उम्र कोई बाधा नहीं होती, बस हृदय में प्रेम जागृत होना चाहिए।
कथा उपरांत मंदिर के प्रधान श्री तिलकराज द्वारा सभी भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर सरपरस्त अशोक खुराना, सुरेंद्र मालवा, कमल गोसाई, अनिल नागपाल, पंडित संजय विशिष्ट, रामप्रकाश बत्रा, सोनू पंडित, विनोद भामरी, मदन सिक्का, जोगेंद्र खिथा सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे l

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