*वार्ड 82 बिल्डिंग डिपार्टमेंट करोल बाग जोन एमसीडी के जूनियर इंजीनियर पर तेल मंडी, पहाड़गंज में अवैध निर्माण को संरक्षण देने के गंभीर आरोप।
शिकायत के बावजूद निगम द्वारा कोई कार्रवाई नहीं, शिकायतकर्ता महिला के घर में आई दरारें बनीं चिंता का विषय।
क्षेत्रीय लोगों का आरोप: मोटी रिश्वत लेकर बिल्डरों को बचा रहा है वार्ड 82, बिल्डिंग डिपार्टमेंट का जेई ।
निगम के उपायुक्त और महापौर की चुप्पी पर भी सवाल, क्या सिस्टम की मिलीभगत है*?
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। वार्ड 82 करोल बाग जोन के एमसीडी बिल्डिंग विभाग में तैनात जूनियर इंजीनियर पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। पहाड़गंज के 4196, तेल मंडी स्थित मकान में अवैध निर्माण को संरक्षण देने के एवज में JE द्वारा मोटी रकम वसूलने की बात सामने आई है। क्षेत्रीय लोगों का आरोप है कि JE, बिल्डरों से गठजोड़ कर निर्माण माफिया को खुली छूट दे रहा है, जिससे आवासीय इलाकों में बेतरतीब निर्माण और भवनों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है।
स्थानीय निवासी महिला डिम्पल अरोड़ा की शिकायत के अनुसार, उसके घर 186, घी मंडी,पहाड़ गंज में पीड़ित महिला के घर के पीछे,अवैध निर्माण गतिविधियों के कारण गंभीर दरारें आ गईं। उसने एमसीडी को लिखित में शिकायत दी, मौके का मुआयना भी हुआ, लेकिन कार्रवाई के नाम पर अब तक कुछ नहीं हुआ। उल्टा, शिकायतकर्ता को ही धमकाने की कोशिशें हो रही हैं।
सूत्रों की मानें तो यह कोई पहली घटना नहीं है। वार्ड 82 के JE ,बिल्डिंग डिपार्टमेंट करोल बाग जोन,लंबे समय से इस तरह के मामलों में संलिप्त रहा है। वह निर्माण कार्य रुकवाने या चालान न काटने के एवज में बिल्डरों से मोटी रकम ऐंठता है। विभागीय नियमों और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस को ताक पर रखकर दिल्ली जैसे संवेदनशील शहरी क्षेत्र में खुलेआम गैरकानूनी निर्माण करवाया जा रहा है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि निगम के उच्चाधिकारी, विशेषकर जोन के उपायुक्त और महापौर तक इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। यह चुप्पी अपने-आप में सवालों के घेरे में है। क्या निगम के उच्च पदों पर बैठे लोग भी इस गोरखधंधे में शामिल हैं? या फिर वे जानबूझकर आंखें मूंदे हुए हैं?
स्थानीय निवासियों में इस पूरे मामले को लेकर भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि यदि जल्दी ही इस भ्रष्टाचार और अवैध निर्माण पर लगाम नहीं लगी, तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। एक महिला निवासी ने तो यह तक कहा कि “जब तक यह जेई सस्पेंड नहीं होता और निर्माण गिराया नहीं जाता, तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे।”
एमसीडी प्रशासन और दिल्ली सरकार को यह समझना होगा कि जूनियर इंजीनियर जैसे फील्ड अफसरों की लापरवाही और भ्रष्ट आचरण सीधे-सीधे जनता की जानमाल के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। ऐसे अफसरों को बर्खास्त करना और उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाना समय की मांग है।
अब देखना यह है कि क्या निगम इस भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करता है या हमेशा की तरह फाइलों में दबाकर मामले को रफा-दफा कर देता है।