मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में करीब एक साल से जेल में बंद सत्येंद्र जैन की तबीयत बिगड़ गई है, जिसके बाद उन्हें राजधानी दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में लाया गया है. हाल ही में उन्होंने अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था.
जैन ने इस हलफनामे में बताया था कि जेल में रहने के दौरान उनका वजन 30 किलो कम हो गया है.
18 मई को ही सुप्रीम कोर्ट में सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी जैन के स्वास्थ्य का मुद्दा उठाया था. उन्होंने कोर्ट से कहा था कि जैन की तबियत ठीक नहीं है और वह कंकाल जैसे नजर आ रहे हैं. इस आधार पर उन्होंने जमानत मांगी थी.
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने जैन की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि वह प्रभावशाली व्यक्ति हैं और वह गवाहों तथा सबूतों को प्रभावित कर सकते हैं.
हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था, ‘वर्तमान अदालत इन कार्यवाहियों की वैधता में नहीं जा सकती है. तथ्य बताते हैं कि कुछ आय से अधिक संपत्तियों की जानकारी छिपाई गई थी. अदालत को प्रथम दृष्टया मामले को देखना होगा. व्यापक संभावनाएं इंगित करती हैं कि उनसे जुड़ी कंपनिया (सत्येंद्र जैन) खुद उनके द्वारा नियंत्रित और प्रबंधित की जा रही हैं.’
जैन को सब पता था- कोर्ट
पिछले दिनों हुई सुनवाई पर दिल्ली हाई कोर्ट में ईडी की तरफ से कहा गया था कि आरोपियों के बयान से ये पता चलता है कि जैन ही फंड ट्रांसफर करने के बारे में सब कुछ जानते थे. ईडी ने कोर्ट में था कहा शेल कंपनियों में साल 2015 और 2016 में 1.5 करोड़ रुपये की एंट्री सत्येंद्र कुमार जैन के द्वारा की गई थी. ईडी ने मामले में आरोपी जवेंद्र मिश्रा के बयान को भी रिकॉर्ड पर लेते हुए कहा कि इस मामले में मोरस ओप्रेंडी यह था कि पैसा हवाला ऑपरेटर्स ( कोलकाता बेस्ड शैल कंपनियों ) को भेजना था. यह पूरा मामला मनी लांड्रिंग का बनता है.