किसानों से पराली न जलाने का आह्वान, प्रबंधन अपनाने पर 1200 रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन

चिमन लाल ब्यूरो चीफ हरियाणा क्राइम हिलोरे न्यूज

पराली जलाने वालों पर सख्त कार्रवाई, मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर होगी रेड इंट्री

झज्जर,

डीसी स्वप्निल रविंद्र पाटिल ने जिले के किसानों से अपील करते हुए कहा कि फसलों की कटाई के बाद खेतों में पराली या अन्य फसल अवशेष न जलाएं, बल्कि आधुनिक कृषि यंत्रों से उसका उचित प्रबंधन करें। सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए 1200 रुपए प्रति एकड़ तक की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इसके अलावा किसान इन-सीटू व एक्स-सीटू प्रबंधन अपनाकर अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं और खेत की मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ा सकते हैं। डीसी ने कहा कि पराली जलाने से पर्यावरण को गंभीर नुकसान होता है। वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिससे सांस और आंखों की समस्याएं पैदा होती हैं। साथ ही, खेत की मिट्टी में मौजूद जैविक पदार्थ और मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं, जिससे जमीन की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। कृषि विभाग की ओर से किसानों को सुपर सीडर, जीरो टिलेज मशीन, स्ट्रा चॉपर, हैपी सीडर, रिवर्सिबल प्लो और स्ट्रा बेलर मशीन जैसी आधुनिक मशीनों पर अनुदान दिया जाता है। इन यंत्रों से किसान फसल अवशेषों को खेत में मिलाकर खाद बना सकते हैं या स्ट्रा बेलर से गांठ बनाकर बेच सकते हैं। कृषि उपनिदेशक जितेंद्र अहलावत ने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं पर सैटेलाइट मॉनिटरिंग और एएफएल ट्रैकिंग सिस्टम के जरिए कड़ी नजर रखी जाएगी। पराली प्रोटेक्शन फोर्स द्वारा आईसीएआर एवं हैरसक तकनीक से रियल-टाइम कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ भारी जुर्माना, एफआईआर दर्ज, ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर रेड एंट्री और दो साल तक एमएसपी पर फसल बिक्री पर रोक जैसी कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि पिछले वर्ष भी ऐसे मामलों में चालान, रेड एंट्री और एफआईआर की कार्रवाई की गई थी।

पराली जलाएं नहीं, अतिरिक्त आय का स्रोत बनाएं

डीसी ने कहा कि किसान पराली को खेत में मिलाकर मिट्टी की उर्वरता बढ़ा सकते हैं, उसे पशु चारे के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं या उद्योग इकाइयों को बेचकर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने किसानों से जागरूक होकर सही पराली प्रबंधन तकनीक अपनाने और पर्यावरण को बचाने में सहयोग करने का आह्वान किया।

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