पुलिस- एमसीडी और बिल्डर की मिलीभगत : आर्य नगर में एनजीटी नियमों का उल्लंघन

वरिष्ठ संवाददाता 
नई दिल्ली।  पांच अक्टूबर 2024 की रात को आर्य नगर में एक गंभीर स्थिति उत्पन्न हुई, जब बिल्डर द्वारा अवैध तरीके से दिल्ली के भवन संख्या 8421 आर्य नगर पहाड़ गंज में निर्माण कार्य जारी था। समाजसेवी ने इस संदर्भ में पुलिस कंट्रोल रूम को पते के साथ पूर्ण विवरण सहित सूचना दी, कि 8421 आर्य नगर पहाड़ गंज ,थाना नबी करीम क्षेत्र में होटल स्विस्टन के साथ लेंटर डालने का कार्य चल रहा है, जो न केवल अवैध है, बल्कि यह एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के नियमों का भी उल्लंघन करता है। शिकायतकर्ता ने स्पष्ट रूप से बताया कि डीजल से चलने वाली मशीन ने रोड को ब्लॉक कर दिया था, जिससे स्थानीय निवासियों की आवाजाही प्रभावित हो रही थी।
दिल्ली पुलिस की निष्क्रियता
इस सभी गंभीर आरोपों के बावजूद, जब शिकायतकर्ता ने पीसीआर कॉल की, तो पुलिस की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। रात को सभी की नीद खराब कर बिल्डर द्वारा रात भर लैंडर की मशीन की एवम लेबर की उठा पटक चलती रही ,जिससे हमारे साथ साथ क्षेत्र के अन्य लोग भी रात भर सो नहीं पाए और सुबह 4 बजे से लेकर दिन के अन्य घंटों तक लेंटर की मशीन लगातार चलती रही। शिकायत संख्या 9790343 दर्ज होने के बावजूद, न तो मशीन को जब्त किया गया और न ही बिल्डर के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई।ना ही एमरजेंसी ड्यूटी पर तहत आई ओ से शिकायतकर्ता से संपर्क करने की कोशिश की। ना ही उसके बयान दर्ज किए और उसके बाद बिल्डर ने बाद में शिकायतकर्ता को फोन करके डराने-धमकाने और प्रलोभन देने की कोशिश की। हालांकि, समाजसेवी ने अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उस कॉल का जवाब नहीं दिया। स्थिति तब और गंभीर हो गई जब पुलिस ने शिकायतकर्ता पर दबाव डालने की कोशिश की। इससे स्पष्ट है कि पुलिस और बिल्डर के बीच की सांठगांठ की बात तो पहले से चल रही थी, लेकिन अब यह एक सार्वजनिक मुद्दा बन चुका है।
पहले की घटनाएं
यह पहली बार नहीं है जब मणि आर्य ने पुलिस को इस प्रकार की शिकायत की है। इससे पहले, 26 सितंबर 2024 को भी उन्होंने दो बार शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस ने मशीन को थाने में जब्त किया था। हालांकि, सुबह होते ही पुलिस ने उन्हें उल्टे समझाने की कोशिश की कि ऐसा करने से मामला बिगड़ सकता है और उनकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है। यह स्पष्ट करता है कि पुलिस ने पहले ही बिल्डर के साथ अपनी सेटिंग बना ली थी।
भ्रष्टाचार का एक ज्वलंत उदाहरण
यह पूरा मामला दिल्ली पुलिस, निगम के बिल्डिंग इंजीनियरों और बिल्डर के बीच गहरी मिलीभगत का प्रतीक है। जब सार्वजनिक सुरक्षा और कानून की बात आती है, तो यह जरूरी है कि प्रशासन अपने कर्तव्यों का पालन करे। पुलिस की निष्क्रियता और निर्माण कार्यों के लिए आवश्यक अनुमतियों की अनदेखी करना एक गंभीर मुद्दा है। एनजीटी के नियमों का उल्लंघन करके, केवल कानून ही नहीं, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा को भी खतरे में डाला जा रहा है।
जिम्मेदारी और कार्रवाई
अब सवाल यह है कि दिल्ली पुलिस के उच्च अधिकारी इस मामले में क्या कदम उठाएंगे। क्या वे उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे जो इन घटनाओं में लिप्त हैं? क्या बिल्डर को उसके अवैध कार्यों के लिए सजा मिलेगी? यदि नहीं, तो यह साबित होगा कि कानून केवल आम नागरिकों के लिए है, जबकि शक्तिशाली लोगों के लिए यह एक मजाक बनकर रह जाएगा।
नागरिकों का संघर्ष
क्षेत्र में शांति का माहोल बना रहे इसके लिए समाजसेवियों का संघर्ष महत्वपूर्ण है। वे न केवल अपने अधिकारों की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि समाज को जागरूक भी कर रहे हैं। उनकी शिकायतों को अनसुना करना और उन्हें डराना-धमकाना न केवल असामाजिक है, बल्कि यह दर्शाता है कि हमारी पुलिस व्यवस्था कितनी कमजोर हो गई है।इस घटनाक्रम ने यह सवाल उठाया है कि क्या हमारे पास एक सक्षम और जवाबदेह प्रशासन है। क्या पुलिस केवल भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों की मदद करने के लिए ही है? यदि ऐसा है, तो समाज में आम नागरिकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों का क्या होगा ?दिल्ली में इस प्रकार की घटनाएं समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय हैं। भ्रष्टाचार और मिलीभगत की इस स्थिति को समाप्त करने के लिए हमें सख्त कदम उठाने होंगे। नागरिकों को अपनी आवाज उठानी होगी और प्रशासन से सही कार्रवाई की मांग करनी होगी। उम्मीद है कि इस मामले में उच्च अधिकारियों की सक्रियता और सख्त कार्रवाई से ऐसे मामलों में सुधार होगा और कानून की राजधर्मिता सुनिश्चित होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *