प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के खिलाफ उत्तर प्रदेश, असम में दर्ज FIR को लखनऊ ट्रांसफर कर दिया है. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के खिलाफ अब लखनऊ में मामला चलेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने असम और वाराणसी की FIR लखनऊ की हजरतगंज FIR में जोड़ दी. साथ ही खेड़ा की अंतरिम जमानत 10 अप्रैल तक बढ़ा दी गई. पवन खेड़ा अब लखनऊ में नियमित जमानत अर्जी दाखिल करेंगे.
CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पहली FIR लखनऊ में दर्ज हुई है. प्रथा यह है कि अन्य संबंधित FIR को भी उस स्थान से जोड़ दिया जाए जहां पहली FIR दर्ज की गई थी. कोर्ट ने असम और वाराणसी में दर्ज एफआईआर को एक साथ जोड़ दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट पवन खेड़ा को 10 अप्रैल तक मिली अंतरिम राहत बरकरार रहेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा को निचली अदालत में जमानत के लिए अर्जी दाखिल करने की इजाजत दी. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमें अन्य सभी एफआईआर को क्लब करने में कोई समस्या नहीं है. इसे असम में जोड़ दिया जाए और असम पुलिस को मामले की जांच करने दें. लेकिन पीठ ने इस दलील को दरकिनार कर दिया. सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल मेहता ने कहा कि पवन खेड़ा ने आज तक अपने बयान पर सार्वजनिक माफी नहीं मांगी है. सिर्फ उनकी तरफ से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने 23 फरवरी को कोर्ट को गुमराह करने के लिए माफी की बात कह दी थी.
कांग्रेस प्रवक्ता खेड़ा को 17 फरवरी को मुंबई में मीडिया से बात करने के दौरान प्रधानमंत्री के खिलाफ की गई उनकी टिप्पणी के संबंध में असम पुलिस ने 23 फरवरी को गिरफ्तार किया था.
उत्तर प्रदेश और असम की सरकारों ने खेड़ा की याचिका का विरोध किया था. याचिका का विरोध करते हुए कहा गया था कि विपक्षी पार्टी सोशल मीडिया खातों पर लगातार निचले स्तर के कमेंट कर रही है.