विशेष संवाददाता चिमन लाल
झज्जर
जिला प्रशासन ने गेहूं की कटाई के बाद खेतों में फसल अवशेष (फाने) जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सजग और सतर्क है। जिले में फसल अवशेषों को आग लगाना भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत प्रतिबंधित है और ऐसे मामलों में सूचना मिलते ही जिला प्रशासन द्वारा तुरंत कार्रवाई करते हुए कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। फसल अवशेष जलाने से आग अनियंत्रित हो जाती है और साथ लगते खेत में खड़ी पकी हुई फसल आग की चपेट में आ जाती है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है। डीसी ने संबंधित एसडीएम और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अलावा संबंधित विभागीय अधिकारियों को फील्ड में निरंतर निगरानी रखने के कड़े निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा हर आगजनी की घटना की जवाबदेही तय होगी। इसलिए अधिकारी सजग और सतर्क होकर कार्य करें। आगजनी से फसलों का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।
उपायुक्त प्रदीप दहिया ने स्पष्ट किया है कि खेतों में फसल अवशेष जलाना न केवल पर्यावरण और जन स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है, बल्कि यह एक दंडनीय अपराध भी है। इस पर अंकुश लगाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा निगरानी व नियंत्रण की व्यापक व्यवस्था की गई है। डीसी ने आमजन से आह्वान करते हुए कहा कि वे इस विषय पर प्रशासन का सहयोग करें और कहीं भी फसल अवशेष या गेहूं के फाने जलते हुए देखें तो तुरंत डायल 112 या संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को सूचित करें, ताकि समय रहते आवश्यक कार्रवाई की जा सके।
उपायुक्त ने कहा कि फसल अवशेष जलाना वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण बनता है, जिससे श्वसन संबंधी बीमारियां फैलने की आशंका रहती है। साथ ही इससे खेत की उर्वरता को भारी नुकसान पहुंचता है, मिट्टी की जैविक गुणवत्ता नष्ट होती है। किसान फसल अवशेष (गेहूं के फानों) में आग ना लगाएं इससे आग आगे बढ़ जाती जिससे अन्य किसानों के खेतों में नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है।
डीसी दहिया ने आमजन और किसानों से अपील की कि यदि कहीं भी फसल अवशेष जलाने की घटना नजर आती है तो तुरंत डायल 112 या जिला प्रशासन के अधिकारियों को सूचित करें ताकि समय रहते राहत और बचाव कार्य किया जा सके और पर्यावरण को नुकसान से बचाया जा सके। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा गांव व ब्लॉक स्तर पर निगरानी टीमें गठित की गई हैं, जो नियमित रूप से फील्ड में सक्रिय हैं। किसानों, नंबरदारों व पंचायत प्रतिनिधियों को जागरूक किया जा रहा है कि वे अवशेष जलाने की बजाय वैज्ञानिक तरीकों यंत्रों के माध्यम से फसल अवशेष प्रबंधन करें। इससे किसानों की अतिरिक्त आय भी बढ़ेगी। किसानों से विशेष रूप से आह्वान किया कि वे एकजुट होकर एक-दूसरे को भी जागरूक करें।
डीसी ने बताया कि फसलों के अवशेष जलाने के मामलों में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, वायु (प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, और आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। जिले में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के तहत भी फसल अवशेष जलाना प्रतिबंधित है। साथ ही, आरोपी की सब्सिडी और सरकारी योजनाओं का लाभ भी रोका जा सकता है।