सीजफायर के 3 घंटे बाद ही कश्मीर, राजस्थान और पंजाब में फिर से ड्रोन अटैक
विशेष संवाददाता विक्रम गोस्वामी
नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच 86 घंटे तक चले सीमित युद्ध के बाद शनिवार शाम 5 बजे दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम (सीजफायर) पर सहमति बनी। इस निर्णय का उद्देश्य सीमा पर शांति स्थापित करना और आम नागरिकों को राहत देना था। लेकिन इस मानवतावादी पहल की उम्मीदों को पाकिस्तान ने महज तीन घंटे में ही रौंद दिया। रात करीब 8 बजे के बाद जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और पंजाब में एक साथ कई जगहों पर पाकिस्तानी ड्रोन देखे गए और कुछ इलाकों में विस्फोट भी हुए। इन घटनाओं से यह स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर है।
रक्षा सूत्रों के मुताबिक, शनिवार रात 8:15 बजे जम्मू के आरएस पुरा सेक्टर में एक संदिग्ध ड्रोन भारतीय सीमा में दाखिल हुआ, जिसे बीएसएफ के जवानों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई कर खदेड़ दिया। इसके कुछ ही मिनटों बाद पंजाब के फिरोजपुर और तरनतारन जिलों में भी ड्रोन की हलचल देखी गई। एक ड्रोन ने राजस्थान के गंगानगर जिले में नियंत्रण रेखा के पास एक छोटे पैमाने पर विस्फोटक गिराया, जिससे एक खेत में आग लग गई, हालांकि कोई जनहानि नहीं हुई।
भारतीय सेना ने इस उल्लंघन को गंभीरता से लिया है। एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया कि यह सीजफायर समझौते की खुली अवहेलना है और इससे पाकिस्तान की नीयत और रणनीति दोनों पर सवाल खड़े होते हैं। अधिकारी ने कहा कि भारत शांति के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन अगर कोई देश इस प्रतिबद्धता को उसकी कमजोरी समझता है, तो उसका जवाब देना भी आता है।
गृह मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पंजाब और जम्मू-कश्मीर में ड्रोन गतिविधियों पर नजर रखने के लिए हाई-अलर्ट जारी कर दिया गया है। बीएसएफ और सेना के जवानों को सीमा क्षेत्रों में सघन गश्त करने और जवाबी कार्रवाई के लिए पूरी तरह तैयार रहने का आदेश दिया गया है।
उधर, पाकिस्तान की ओर से अभी तक इन घटनाओं पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, वहां की मीडिया में यह खबरें जरूर चल रही हैं कि पाकिस्तानी सेना भारतीय सीमा में “सर्विलांस ऑपरेशन” कर रही थी, जिसे भारत ने “ओवर-रिएक्ट” कर दिया। लेकिन भारत के रक्षा विशेषज्ञ इस तर्क को खारिज कर रहे हैं। पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल डी.एस. हुड्डा ने कहा कि ड्रोन भेजना सिर्फ निगरानी नहीं होती, बल्कि यह आक्रामक सैन्य नीति का हिस्सा होता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हर बार पहले युद्धविराम की बात करता है और फिर पीछे से वार करता है।
इस घटनाक्रम के बाद दिल्ली में एक उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक भी बुलाई गई, जिसमें रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सेना प्रमुख मौजूद रहे। बैठक में तय किया गया कि पाकिस्तान की हर हरकत का कड़ा जवाब दिया जाएगा और सीमावर्ती इलाकों में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
यह पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान ने युद्ध विराम तोड़ा हो। इससे पहले भी 2021 और 2023 में ऐसे ही समझौते हुए थे, जिन्हें पाकिस्तान ने कुछ ही दिनों में तोड़ दिया था। लेकिन इस बार मामला और गंभीर इसलिए है क्योंकि युद्ध के बाद आम नागरिकों को थोड़ी राहत मिली थी और ऐसा लग रहा था कि क्षेत्र में स्थिरता आ सकती है। पाकिस्तान के इस विश्वासघात से साफ हो गया है कि वह शांति का नहीं, बल्कि अस्थिरता और आतंक का पक्षधर है।
भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पाकिस्तान की इस दोगली नीति को उजागर करने की रणनीति बनाई है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक मंचों पर भारत पाकिस्तान द्वारा सीजफायर उल्लंघन के साक्ष्य प्रस्तुत करेगा, ताकि दुनिया देख सके कि पाकिस्तान क्षेत्रीय शांति के लिए कितना बड़ा खतरा बना हुआ है।