रक्षाबंधन के पावन पर्व पर दिल्ली के झंडेवाला देवी मंदिर में आने वाले हर भक्त को मंदिर की ओर से रक्षा सूत्र बांधा गया

रक्षाबन्धन: भारतीय धर्म संस्कृति के अनुसार रक्षाबन्धन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधता है। इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर रक्षा का बन्धन बांधती है, जिसे राखी कहते हैं। यह एक सनातन का त्योहार है जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी सावनी या सलूनो भी कहते हैं। रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती सूत से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की भी हो सकती है। रक्षाबंधन भाई बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्योहार है। रक्षा का अर्थ सुरक्षा और बंधन का मतलब बांधना है। रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाईयों की तरक्की व लंबी आयु के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी कन्याओं द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है। प्राचीन काल में प्रजा द्वारा अपने राजा को भी रक्षा सूत्र बांधने का भी प्रचलन था।रक्षाबंधन के दिन भाई अपनी बहन को राखी के बदले कुछ उपहार देते हैं।
इस अवसर, पर झंडेवाले देवी मन्दिर में आने वाले हर भक्त को मन्दिर की ओर से रक्षासूत्र
बांधा गया ।

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