फ़र्ज़ी यूट्यूब चैनलों,पत्रकारों पर हो सख्त कार्रवाई : अशोक कुमार निर्भय

संवाददाता

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में ऐसे लोगों की बाढ़ आ गई है, जिनका किसी भी अखबार, मीडिया हॉउस अथवा चैनल से कोई सरोकार नहीं है। पत्रकारिता का बेसिक तो छोड़ो पत्रकारिता की परिभाषा तक उनको नहीं पता होती फिर भी वह अपने को पत्रकार कहते और अधिकारियों और आमजन पर अनर्गल दवाब बनाते हैं। कई प्रेस कांफ्रेंसों में पहुंच कर नकली चैनल के आईडी से आयोजकों और पीआर एजेंसी को भ्रमित करके उपहारों पर तो हाथ साफ़ करते ही हैं वहीं प्रति फ़र्ज़ी पत्रकार के हिसाब से पैसे की डिमांड तक करते देखे जा सकते हैं। आज राजधानी दिल्ली में ही कई वाहन चालक भी फर्जी पहचान पत्र लिए घूम रहे हैं और वह आम जनमानस को ब्लैकमेल कर रहे हैं। काफी ऐसे भी हैं जो अवैध निर्माण के नाम पर भी लोगों को परेशान कर उन्हें ब्लैकमेल करने का काम कर रहे हैं। कुछ जुआ सट्टे की फ़र्ज़ी खबर ट्वीट करके पैसा उगाही में लगे हैं। इसके अलावा अनगिनत वाहन पर प्रेस अंकित है, जबकि इन वाहनों का पत्रकारिता से कोई वास्ता नहीं है। इसलिए जल्द ही ऐसे फर्जी पत्रकारों व अवैध यू-ट्यूब न्यूज चैनल चलाने वालों की जांच कराकर सख्त कार्रवाई की मांग विश्व पत्रकार महासंघ दिल्ली प्रदेश (रजि) केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस कमिशनर समेत दिल्ली के एलजी साहब से करता है।

विश्व पत्रकार महासंघ दिल्ली प्रदेश (रजि) प्रदेश प्रभारी और वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक अशोक कुमार निर्भय ने फ़र्ज़ी यूट्यूब न्यूज़ चैनलों पर कार्रवाई की मांग उठाते हुए कहा कि इन दिनों चैनलों और अख़बारों में काम पत्रकारों को भी यूट्यूब चैनल चला रहे फर्जी पत्रकारों से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल जिन पत्रकारों को पत्रकारिता का अ भी नहीं पता है वे लोग हाथ में माइक लेकर अपने आप को वरिष्ठ पत्रकार कहते हुए राजधानी दिल्ली समेत शहर दर शहर भारत के महानगरों और कस्बों तक में सरेआम बिना किसी रोक-टोक के घूम रहे हैं। ये लोग अपनी गाड़ियों पर बड़े-बड़े शब्दों में प्रेस लिखवाकर इस शब्द का भी दुरुपयोग कर रहे हैं। यूट्यूब चैनल के इन फर्जी पत्रकारों की शिकायतें अब कई राज्यों के पुलिस मुख्यालय तक पहुंचनी शुरू हो गई हैं। हैरानी की बात यह है कि पुलिस की ओर से भी वाहनों पर प्रेस शब्द लिखा कर घूमने वाले लोगों को रोक कर इन के वाहनों की जांच तक नहीं की जा रही है। पत्रकारिता की आड़ में कालाबाजारी करने वाले ऐसे तथाकथित पत्रकार बनकर असल में पत्रकारिता जगत और पत्रकारों की छवि को भी धूमिल कर रहे हैं।

विश्व पत्रकार महासंघ दिल्ली प्रदेश (रजि) के अध्यक्ष विक्रम गोस्वामी का कहना है कि यूट्यूब चैनल चलाने वाले कुछ लोग को प्रिटिग प्रेस से आसानी से माइक मिल जाता है। ये लोग वहां कुछ पैसे देकर एक नकली माइक आईडी तैयार कर लेते हैं। इसके बाद यह अपने आप को पत्रकार कहते हुए इंटरनेट मीडिया पर अपनी तस्वीरें वायरल करना शुरू कर देते हैं। बिना किसी बेसिक पत्रकारिता की योग्यता के ही अनपढ़ और पांचवी पढ़े लोग जिनमें खासकर लड़कियां शामिल हैं इससे समाज में रहने वाले लोग इन सबको पत्रकार समझकर इन से धोखा खा जाते हैं। ऐसे प्रिंटिंग प्रेस और यूट्यूब चैनलों और उनके पत्रकारों पर पुलिस की सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इन चैनलों पर बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे चैनलों व उनके कथित फर्जी पत्रकारों को बाइट देने वाले अधिकारियों और नेताओं पर भी कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि वह अनैतिक रूप से समाज में भ्रम की स्थिति पैदा कर रहे हैं। आपको ज्ञात होना चाहिए कि फर्जी पत्रकार बिना वजह इंटरनेट पर गलत पोस्ट वायरल कर के लोगों को गुमराह करते हैं। इस पर राज्य इ केंद्र सरकार को शिकंजा कसना चाहिए। उधर, अगर कोई कर्मचारी अपने बड़े अधिकारी की अनुमति के बिना यूट्यूब में फर्जी पत्रकार को बाइट आदि देता है तो ऐसे कर्मचारी के खिलाफ भी 16 सीसीए के अंतर्गत कार्रवाई की जानी चाहिए। इससे फर्जीवाड़ा करने वाले बेनकाब हो सकते हैं। बिना अखबार के कार्ड व सरकारी कार्ड की जांच के बिना अधिकारियों को भी ऐसे फर्जी यूट्यूब चैनल के कथित पत्रकारों को बाइट नहीं देनी चाहिए।

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